इमाम बाड़े के बाहर से चलते फिरते महिलाओ ने की इमाम बाड़े की ज़ियारत

इमाम बाड़े के बाहर से चलते फिरते महिलाओ ने की इमाम बाड़े की ज़ियारत

जूलूसो के इतिहास मे शिया समुदाय द्वारा कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए स्थगित किए गए 19 रमज़ान के जुलूस के बाद शिया समुदाय के लोगो मे बेहद अफसोस देखने को मिला 19वीं रमज़ान को निकाला जाने वाला ग्लीम के ताबूत का जुलूस इस बार नही निकला गया और न ही हज़रत अली अ0स0 का ताबूत ही सजाया गया जिसकी हज़रत अली अ0स0 की शहादत से गमज़दा अकीदतमंद अज़ादार और ज़्यादा अफसोस मे है क्यूकि इस बार अज़ादारो को न तो ताबूत की ज़ियारत करने का ही मौका मिला और न ही मजलिसे आयोजित करने का मौका मिला। हज़रत अली की शहादत के मौके पर शिया समुदाय की महिलाओ को आज सआदतगंज स्थित नजफ इमाम बाड़े के अन्दर जाने का मौका तो ही मिला लेकिन हज़रत अली अ0स0 के ग़म मे चूर हज़ारो महिलाओ ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए नजफ़ इमाम बाड़े के बाहर चलते फिरते ही इमाम बाड़े की बाहर से ज़ियारत कर हज़रत अली अ0स0 को पुरसा दिया। शिया समुदाय के लोग इस बार हज़रत अली अ0स0 का ग़म अपने अपने घरो मे ही मना कर मातम कर रहे है । आपको बता दें कि 14 सौ साल पहले इराक के नजफ मे मस्जिदे कूफा मे सुबह की नमाज़ पढ़ने के लिए पहुॅचे हज़रत अली अ0स0 को इब्ने मुलज़िम द्धारा जहरीली तलवार से वार कर उन्हे घायल कर दिया गया था दो दिन के बाद हज़रत अली अ0स0 की 21वीं रमज़ान की सुबह मृत्यु हो गई थी । हज़रत अली अ0स0 की याद मे शिया समुदाय के द्वारा 19वीं रमज़ान की सुबह लखनऊ मे ग्लीम के ताबूत का जुलूस और 21वीं रमज़ान की सुबह हज़रत अली अ0स0 के ताबूत का जुलूस निकाला जाता था लेकिन कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू किए गए लाक डान की वजह से इस बार इन दोनो महत्वपूर्ण जुलूसो को शिया समुदाय द्वारा प्रशासन का सहयोग करते हुए खुद ही स्थगित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया। इस बार 21वीं रमज़ान की सुबह भी ताबूत का जुलूस नही निकाला जाएगा।

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