लाक डाउन का 41वां दिन देख कर ऐसा नही लग रहा था कि शहर के चाौराहो पर मुस्तैद पुलिस कर्मी आने जाने वाले लोगो को रोकने टोकने के लिए नही लगाए गए है । 41वें दिन पूरे लखनऊ शहर मे काफी चहल पहल देखी गई । बिना रोकटोक लोग सड़को पर वाहन दौड़ाते देखे गए रोज़ के मुकाबले 41वें दिन लखनऊ की सड़को पर लाक डाउन के उलंघन को हर किसी ने देखा लेकिन शायद लाक डाउन का पालन कराने की ज़िम्मेदारी उठाने वाली पुलिस की नज़र मे सड़के पहले की तरह ही सूनसान रही । कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सामाजिक दूरी बनी रहे इस लिए सरकार ने पूरे देश मे सम्पूर्ण लाक डाउन लागू कर देशवासियो को घर मे ही रहने की हिदायते दी थी । देश मे 40 दिनो तक लोग अपने अपने घरो मे रहे लेकिन दूसरे चरण के लाक डाउन के 40 दिन समाप्त हुए तो तीसरे चरण के लाक डाउन के पहले दिन का सूरज उगते ही सैकड़ो लोग शहर की सड़को पर बेखौफ होकर निकल आए। 40 दिनो तक जो दुकाने बन्द रही उन दुकाने मे से भी 41 वें दिन कुछ दुकाने खुली देखी गई सड़क के किनारे लगने वाले सब्ज़ी और फलो के ठेलो की संख्या भी पहले के मुकाबले कुछ ज़्यादा थी और दुकानो व ठेलो पर खरीदारी करने वाले ग्राहको की संख्या भी ज़्यादा थी। सड़को पर बेखौफ होकर घूम रहे लोगो को शायद ये अन्दाज़ा नही था कि भले ही उनमे कोरोना का संक्रमण न हो लेकिन जिस तरह से वो बाज़ारो मे भीड़ का हिस्सा बन रहे है ऐसे मे किसी भी व्यक्ति के अन्दर छुपे हुए कोरोना की ज़द मे उनका आना कोई बड़ी बात नही है जबकि कोरोना वायरस का संक्रमण ऐसा संक्रमण है जो बहोत आसानी से इन्सान के अन्दर दाखिल तो हो जाता है लेकिन उसे इन्सान के शरीर से निकालने के लिए डाॅक्टरो को काफी जददो जेहद करनी पड़ती है। एक व्यक्ति के कोरोना से संक्रमित होने से उसके आसपास रहने वाले सैकड़ो लोगो पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है बावजूद इसके लोग अदृश्य कोरोना वायरस के खतरे से बेखौफ होकर बाज़ार मे खरीदारी करते देखे गए यहंा ताज्जुब की बात ये रही कि इन बाज़ारो मे पुलिस कर्मी भी मौजूद थे लेकिन पुलिस कर्मी दुकानो ठेलो पर भीड़ लगा कर खरीदारी कर रहे न तो किसी ग्राहक से टोका टोकी करते देखे गए और न ही किसी दुकानदार या ठेले वाले से । लाक डाउन के 41वें दिन का भीड़ भाड़ वाला मंज़र देख कर तमाम लोग तो चिन्ता मे पड़ गए कि अगर ऐसा ही रहा तो कोरोना को देश से बाहर करने के लिए क्या 54 दिन का लाक डाउन पर्याप्त होगा।