लाक डाउन मे गरीबो के लिए मसीहा साबित हुई समाज सेवी संस्थाए
लखनऊ। पूरे देश मे 25 मार्च से लागू किए गए सम्पूर्ण लाक डाउन के दूसरे चरण के 40 दिन आज पूरे हो गए । लोगो को ये आशा थी कि 40 दिनो के इन्तिज़ार के बाद कोरोना के मामले कम होगे और देश को लाक डाउन से पूरी तरह से निजात मिल जाएगी लेकिन ऐसा नही हुआ कोरोना वायरस के मामले देश मे लगातार बढ़ रहे है जिसकी वजह से पूरे देश मे 14 दिनो के लिए लाक डाउन को और बढ़ाना पढ़ गया । देश मे आज कोरोना वायरस से सक्रमित मरीज़ो का आकड़ा 40 हज़ार तक पहुॅच रहा है जब्कि कोरोना के संक्रमण से पूरे देश मे अब तक 13 सौ से ज़्यादा लोग अपनी जान गवा चुके है पूरे देश मे कोरोना वायरस से संक्रमित 10 से ज़्यादा लोग अब पूरी तरह से ठीक भी हो चुके है। लेकिन यहा चिन्ता मे डालने वाली बात ये है कि 40 दिनो से देशवासी अपने अपने घरो मे है बाज़ार कार्यालय स्कूल सभी व्यापारिक प्रतीष्ठान बन्द है लेकिन बावजूद इसके कोरोना वायरस के मरीज़ो का आकड़ा अब 40 हज़ार तक पहुॅच रहा है अगर समय रहते सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए पूरे देश मे सम्पूर्ण लाक डाउन का एलान न किया होता तो हालात शायद भयानक स्थिति मे पहुॅच चुके होते । माना ये जा रहा है कि दो चरणो के लाक डाउन के बाद तीसरे चरण मे 14 दिनो की और बढ़ोत्तरी की गई है लेकिन अगर इन 14 दिनो मे भी हालात बेहतर न हुए तो अभी देशवासियो को लाक डाउन का दंश अभी और ज़्यादा झेलना पड़ सकता है। संवाददाता ने लाक डाउन के 40वे दिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सड़को गली मोहल्लाो का जाएज़ा लिया तो देखा कि लोगो मे कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने की चिन्ता तो है लेकिन सामाजिक दूरी के साथ साथ लोगो मे रोज़ी रोज़गार बन्द होने की चिन्ता भी है संवाददाता ने जब पुराने लखनऊ की गली मोहल्लो का दौरा किया तो वहंा गरीबो का दर्द छलक गया राम सजीवन का कहना था कि वो ई रिक्शा चला कर अपने परिवार को पालते थे लेकिन 40 दिनो से रिक्शे के पहिए जाम हो गए परिवार का पेट भरना उनके लिए बड़ी परेशानी है । सुलेमान भी ई रिक्शा चला कर अपने परिवार का गुज़ारा करते थे लेकिन उनका भी यही हाल है । पुराने लखनऊ मे रहने वाले ज़रदोज़ी कारीगर मुन्ना के सामने भी परिवार का पेट पालने की बड़ी चुनौती है इसी तरह से संवाददाता ने सैकड़ो लोगो से बात कि सभी का कहना यही था कि कोरोना वायरस से तो बचना है लेकिन भूख से कैसे बचे बिना रोजी रोज़गार के परिवार कैसे चलाए कुछ लोगो का कहना था कि सरकार की तरफ से मुफ्त मे एक यूनिट पर पाॅच किलो चांवल दिया गया था सिर्फ चांवल के सहारे कैसे जिया जाए सरकार को ये सोंचना चाहिए हालाकि लोगो ने उन लोगो के प्रति आभार भी व्यक्त किया जिन लोगो ने लाक डाउन के बाद गरीबो के घर घर राशन और पका हुआ खाना पहुॅचाया। तमाम समाज सेवी संस्थाए लाक डाउन के बाद सामने आई और गरीबो के लिए ये संस्थाए बड़ा सहारा साबित हुई। लोगो का कहना था कि सरकार अगर 54 दिनो से भी आगे लाक डाउन बढ़ाए तो सरकार पहले देश के करोड़ो गरीब परिवारो के खाने का समुचित इन्तिज़ाम करे वरना भले ही लोग कोरोना से न मरे लेकिन भूख से ज़रूर मरना शुरू हो जाएगे।