गुरूवार की दोपहर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ लखनऊ के डीसीपी यातायात के कार्यालय की तरफ से कोरोना वायरस से बचाव के लिए लागू किए गए लाक डाउन की अवधि 25 अप्रैल से आगामी 3 मई तक सड़क पर चलने वाले वाहनो के लिए हरे लाल रंग के पास और आई कार्ड वाला आदेश पत्र को फर्ज़ी पाया गया है। गुरूवार की दोपहर व्हाटसएप के कई ग्रुपो पर दो पेज का आदेश पत्र वाईरल होने के बाद कमिश्नर कार्यालय से आदेश के सम्बन्ध मे सफाई देते हुए कहा गया कि सोशल मीडिया पर डीसीपी यातायात कार्यालय से सम्बन्धित जो आदेश सोशल मीडिया पर चल रहा है वो गलत है ऐसा कोई आदेश डीसीपी यातायात कार्यालय की तरफ से जारी नही किया गया है। कमिश्नर कार्यालय से पत्रकारो को भेजे गए संदेश मे कहा गया है कि डीसीपी कार्यालय से सम्बन्धित जो आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उसमे कही भी डीसीपी यातायात का हस्ताक्षर नही है और न ही ऐसा कोई आदेश जारी किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुआ आदेश पूरी तरह से असत्य है । डीसीपी यातायात कार्यालय से सम्बन्धित दो पन्ने का आदेश सोशल मीडिया पर वायरल होने के कुछ घंटो बाद ही इसका संज्ञान ले लिया गया लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर ये महत्वपूर्ण आदेश डीसीपी यातायात के कार्यालय से जारी नही हुआ तो कहंा से जारी हुआ और इस झूठे आदेश पत्र को सधे हुए शब्दो मे किसने बनाया और इस फर्ज़ी आदेश पत्र को वायरल करने के पीछे किसका हाथ और आदेश पत्र की सत्यता को परखे बिना इस महत्वपूर्ण पत्र को सोशल मीडिया पर किसने और क्यूं वायरल किया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए दो पन्नो के फर्ज़ी आदेश को देख कर ये समझ पाना मुशकिल है कि ये आदेश पत्र फ़र्जी है 17 कालम के इस आदेश पत्र मे विवरण के साथ 17 बिन्दुओ पर आदेश दिए गए है कि कौन से वाहन के लिए किस रंग का पास होना चाहिए और कौन से वाहन के लिए पास नही होना चाहिए ये भी लिखा गया है। भले ही कमिश्नर की मीडिया सेल ने दो पन्ने के इस फर्ज़ी आदेश से पल्ला झाड़ कर अपना दामन बचा लिया हो लेकिन इस की जाॅच होना अत्यन्त ज़रूरी है। पीआरओ ने बताया कि ये पता लगाया जा रहा है कि डीसीपी यातायात के कार्यलय के नाम से सोशल मीडिया पर दो पन्नो का ये फर्ज़ी आदेश कैसे वायरल हुआ।
