घर मे रह कर करे कोरोना से लड़ाई , लाक डाउन के 27 दिन पूरे

घर मे रह कर करे कोरोना से लड़ाई , लाक डाउन के 27 दिन पूरे

पुराने शहर की सड़को पर चहल कदमी करते दिखे लोग


लखनऊ।  कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू किए गए लाक डाउन मे देश के लोग ऐसे दुशमन को हराने के लिए अपने अपने घरो के अन्दर रह कर जंग लड़ रहे है जो दुशमन अदृश्य है। न दिखने वाला कोरोना वायरस इन्सानी जानो का ऐसा दुशमन है जिसने सिर्फ भारत को ही नही बल्कि पूरी दुनिया मे तबाही फैला रख्खी है। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू किए गए लाक डाउन के आज 27 दिन पूरे हो गए लेकिन कोरोना वायरस के मामले लगातार सामने आ रहे है। कोरोना वायरस के नए मामले सामने आना बेहद गम्भीर है जिसकी रोकथाम के लिए केन्द्र और राज्यो की सरकारे लगातार प्रयासरत है। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू किए गए लाक डाउन को सफल बनाते हुए जनता को खुद ही इसे पूरी तरह से लागू करना चाहिए ताकि लाक डाउन की चोट से कोरोना को हराया जा सके लेकिन देखने मे आ रहा है कि आम जनता की भलाई के लिए लागू किए गए लाक डाउन का पालन कराने के लिए पुलिस को मशक्कते करना पड़ रही है कुछ न समझ लोग कोरोना वायरस को सिर्फ अफवाह मान कर लाक डाउन का मजाक उड़ाने से बाज़ नही आ रहे है हालाकि ऐसे लोगो पर पुलिस कार्यवाहियां भी कर रही है लेकिन पुलिस की सख्त कार्यवाहियो के बावजूद भी प्रदेश के कई शहरो से लाक डाउन के उलंघन की चिन्ता जनक तस्वीरे सामने आ रही है। लाक डाउन के 27वें दिन लखनऊ की सड़को पर चहल पहल देखने को मिली पुराने शहर की कुछ गलियां देख कर ये महसूस हो रहा था कि शायद लाक डाउन मे कुछ ढील दी गई है । लाक डाउन का उलंघन कर अपने घरो से बाहर घूमने वाले लोगो को शायद ये एहसास नही है कि वो न सिर्फ अपनी जान को खतरे मे डाल रहे है बल्कि अपनी नादानी से वो अपने रिश्तेदारो दोस्तो और करीबियो की जान को भी खतरे मे डाल रहे है। लाक डाउन के 27वे दिन वैसे तो नए शहर की सड़को पर सन्नाटा देखने को मिला लेकिन पुराने शहर की सड़को पर कुछ नासमझ लोगो की चहल कदमी देखी गई । पुराने शहर की गली मोहल्लो मे कुछ ज्यादा ही चहल कदमी नज़र आई गली मोहल्लो मे खुली राशन सब्ज़ी की दुकानो के आसपास तमाम लोग सोशल डिस्टेन्सिंग का उलंघन करते हुए देखे गए। हालाकि लाक डाउन के बावजूद अपने घरो से बाहर गली के नुक्कड़ो के पास भीड़ की शक्ल मे मौजूद लोगो को तमाम जगह पुलिस को आता देख भागते हुए भी देखा गया। पुराने लखनऊ की गलियो और सड़को पर सब्ज़ी और फलो के ठेले जगह जगह देखे गए । लाक डाउन मे किसी भी व्यक्ति को किसी भी आवश्यक वस्तु के लिए परेशान नही होना पड़ रहा है लाक डाउन से अगर किसी को सबसे ज़्यादा परेशानी है तो वो है वो गरीब परिवारो के लोग जो रोज़ कमाते है और रोज़ खाते है लेकिन 27दिनो से लगातार चल रहे लाक डाउन ने ऐसे हज़ारो परिवारो को मुशकिल मे डाल दिया है हालाकि ऐसे गरीबो की मदद के लिए तमाम समाज सेवी संस्थाए और सरकार सामने आई है सामुदायिक रसोईयों मे पकाया जाने वाला भोजन हज़ारो गरीबो तक पहुॅचाया जा रहा है लेकिन एक वक्त के भोजन से सिर्फ सहारा ही मिल पा रहा है सामुदायिक रसोई मे पैक हुए भेजन के एक डिब्बे मे एक व्यक्ति का पूरी तरह से पेट भरना भी मुशकिल है लेकिन कुछ सहारा तो है ही।

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