लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि इस समय प्रदेश में सबसे ज्यादा बदहाल किसान है। उसकी फसल ओलावृष्टि और असमय बरसात से पहले ही चैपट हो गई थी अब लाॅकडाउन में उसकी फसल की समय से कटाई नहीं हो पा रही है। वह अपनी फसल काट भी ले तो बेचे कहां? सरकारी क्रय केन्द्र कहीं खुले नहीं है, आवागमन के रास्ते बंद है ऐसी दशा में किसान को औने पौने दाम पर क्षेत्रीय आढ़तियों और बिचैलियों को ही फसल बेचनी पड़ रही है। उसे समर्थन मूल्य कहीं भी मिलने वाला नहीं है। राज्य की मण्डियों में किसान गेहूं लेकर पहुंच रहे हैं। दर्जनों मण्डियों में अभी तक पचास हजार कुंतल से ज्यादा गेहूं लेकर पहुंच गये किसान, इधर से उधर धक्के खा रहे है, कोई पूछने वाला नहीं है। अब सरकारी लापरवाही के कारण किसानों के सामने घोर संकट उपस्थित हो गया है। भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण विगत तीन वर्ष में सैकड़ों किसान आत्महत्या कर चुके हैं। कहां तो भाजपा सरकार ने घोषणा की है कि उनकी सरकार किसानों की आय 2022 तक दुगुनी करेगी और कृषि उत्पाद का लागत से डेढ गुना देगी। कहां अब हालत यह है कि घोषित समर्थन मूल्य भी मिलने की स्थिति में नहीं है। यह किसानों के साथ सरासर धोखा है। किसानों की अतिवृष्टि के कारण जो फसल नष्ट हो गयी उसका भी पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया है।समाजवादी पार्टी की मांग है कि राज्य सरकार किसानों को फसल की क्षतिपूर्ति के लिए अलग से मुआवजा दे। गन्ना किसानों का पूरा बकाया तत्काल भुगतान कराये। किसानों की फसल खरीद के लिए तुरन्त क्रय केन्द्र खोले और क्रय केन्द्र तक आने जाने के लिए किसान को सुविधा दी जानी चाहिए।
