लखनऊ। नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए पूरे भारत मे किए गए लाक डाउन का असर अधिक्तर तो देखने को मिल रहा है लेकिन पुराने लखनऊ की अगर बात करें तो यहंा पुराने लखनऊ के मोहल्लो की बस्तियो मे कुछ नासमझ लोग लाक डाउन का मज़ाक उड़ा रहे है। कोरोना वायरस की अभी तक पूरी दुनिया मे कही कोई दवा नही है इसकी रोकथाम के लिए अगर कोई रास्ता है तो वो है सामाजिक दूरी । कोरोना वायरस देश मे विकराल रूप धारण न करे इसके लिए 24 मार्च की रात 12 बजे से प्रधानमंत्री ने पूरे देश मे लाक डाउन का एलान कर किया था उनके एलान के बाद देशवासियो ने अपने अपको अपने घरो के अन्दर कैद कर कोरोना वायरस से जंग शुरू कर दी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 तारीख की रात आठ बजे अपने सम्बोधन मे देशवासियो को बताया था कि लाक डाउन कफर््यू तो नही है लेकिन कफर््यू की तरह ही होगा। प्रधानमंत्री के सम्बोधन के बाद केन्द्र सरकार द्वारा घोषणा की गई कि 21 दिनो के लाक डाउन की अवधि मे देशवासियो को आवश्यक वस्तुए मिलती रहेगी यानि देश भर मे आवश्यक वस्तुओ की दुकाने खुली रखने के आदेश दिए गए । रात 12 बजे से पूरे देश को 21 दिनो के लिए लाक डाउन कर दिया गया लेकिन लाक डाउन का अभी चाौथा ही दिन है लेकिन देखने को मिल रहा है कि उत्तर प्रदशे की राजधानी के पुराने शहर के कुछ नासमझा वासी लाक डाउन का पालन नही कर रहे है। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेन्ंिसग ही एक रास्ता बताया गया है लेकिन पुराने लखनऊ की अधिकतर बस्तियो मे लोग अपने घरो से बाहर गली मोहल्लो मे भीड़ देखने को मिल रही है। हालाकि क्षेत्रो के सामाजिक सोंच रखने वाले लोग भीड़ को समझाने का प्रयास करते है लेकिन अदृश्य दुशमन कोरोना वायरस को कुछ नासमझ लोग मज़ाक मे उड़ा कर सिर्फ अपनी ही नही बल्कि अपने आसपास के लोगो को भी खतरे मे डाल रहे है। लाक डाउन का उलंघन पुराने लखनऊ के सआदतगंज, ठाकुरगंज, बाज़ार खाला, वज़ीरगंज , चाौक , हसनगंज , अमीनाबाद, कैसरबाग, नाका थाना क्षेत्रो के तमाम घनी बस्तियो मे देखने को मिल रहा है। मोहल्लो के नुक्कड़ो पर एकत्र युवाओ की भीड़ जैसे कोरोना वायरस के खतरे को समझने को तैयार ही नही है । भीड़ की सूचना के बाद हालाकि पुलिस तुरन्त एक्शन मे आती है और पुलिस को आते देख ही युवाओ की भीड़ अपने अपने घरो मे घुस जाती है लेकिन पुलिस कर्मियों के जाते ही नासमझ युवा दोबारा उसी तरह से चाौपाल लगा कर लाक डाउन का उलंघन करने से बाज़ नही आ रहे है। कोरोना वायरस को हराने के लिए देश को लाक डाउन करने की घोषणा की विश्व के कई देशो ने भारत की इस पहल की सराहना की है लेकिन अफसोस की बात ये है कि हमारे देश भारत के ही कुछ नासमझ देशवासी कोरोना वायरस के खतरे को हवा मे उड़ा कर कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही लड़ाई को न सिर्फ कमज़ोर कर रहे है बल्कि खुद की और अपने आसपास के लोगो की ज़िन्दगियों को भी दाॅव पर लगा रहे है।
वक़्फ़ इमाम बाड़ा सिब्तैनाबाद ने की ज़रूरतमंदो की मदद की पहल
लखनऊ। मानवता ही एक मात्र धर्म है जो समाज को जोड़ता है। इसी अवधारणा कें तत्क्रम में प्रबंध समिति ’वक्फ इमामबाड़ा सिबतैनाबाद हज़रतगंज लखनऊ’ ने पहल करते हुए लॉक डाउन के चलते बेरोज़गार हुए गरीब निराश्रितों को राशन के पैकेट उपलब्ध कराते हुए संकट की इस घड़ी में अपना सामाजिक फ़र्ज़ अदा किया।
राशन के ये पैकेट किसी धर्म विशेष को न दे कर धार्मिक सीमाओं से हट कर उन गरीबए असहायएनिराश्रितों को दिए गए जो रोज़ मेहनत मजदूरी कर के अपने एवं अपने परिवारों का जीवनयापन करते हैंए जिनमें प्रमुख रूप से रिक्शा वालेए पुताई वालेए मज़दूरए सफाई कर्मीए चौकीदार इत्यादि हैं।
सबसे बड़ा धर्म इन्सानियत हैः नजमा हसन
लखनऊ। कोरोना वायरस से निमटने के लिए केंद्र सरकार और प्रदेश सरकारें जहां अपना काम बड़ी ज़िम्मेदारी से कर रही हैं और लोगों को हर मुमकिन मदद पहुचाने काम कर रही हैं वहीं कुछ जागरूक लोग भी लोगों की भलाई में आगे आकर लोगों की मदद कर रहे हैं।
वक़्फ़ इमाम बाड़ा इक्रामउल्ला खान न्यू नक्खास मार्किट लखनऊ की मुतवल्लिया ने कोरोना वायरस के चलते लखनऊ में लॉक डाउन के मद्दे नज़र ग़रीब परिवार के लोगों में राशन बांटा। मुतवल्लिया नजमा हसन ने कहा कि इस मुश्किल घड़ी में हम सभी इंसानो का फर्ज है कि हर उस इंसान की मदद करें जो कमज़ोर और मजबूर है। उन्हों ने कहा कि यह हम अपना फर्ज समझ कर रहे हैं किसी पर एहसान नही कर रहे हैं और यही जज़्बा हर किसी में होना चाहिए। उन्होने कहा कि इंसान का सब से बड़ा धर्म इंसानियत है।