घण्टा घर के मैदान मे 39वें दिन भी जारी है सीएए का विरोध

घण्टा घर के मैदान मे 39वें दिन भी जारी है सीएए का विरोध

साथी वालन्टियर युवती की मौत की खबर सुन कर रोई महिलाए किया पवित्र कुरान का पाठ

लखनऊ।  नागरिकता संशोधन कानून , एनआरसी एनपीआर के खिलाफ लखनऊ के एतिहासिक घण्टा घर के मैदान मे 39 दिनो से लगातार महिलाओ द्वारा शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन बदस्तूर जारी है। विरोध प्रदर्शन के 38वें दिन यहंा घण्टा घर पर विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ के चहरे उस वक़्त मुरझा गए जब खबर आई कि पिछले 38 दिनो से लगातार विरोध प्रदर्शन मे हिस्सा ले रही डालीगंज हरी मस्जिद के पास रहने वाली 20 वर्षीय बीए की छात्रा तय्यबा की मौत हो गई है। विरोध प्रदर्शन के दौरान अनेक परेशानियां झेल कर भी पीछे नही हट ही महिलाओ की अपनी साथ की मौत की दुखद खबर सुन कर आॅखो से आॅसू छलक आए । तय्यबा की मौत की खबर के बाद घण्टा घर के मैदान मे महिलाओ ने उसकी आत्मा की शान्ती के लिए पवित्र कुरान का पाठ शुरू कर दिया। विरोध प्रदर्शन के भाग ले रही एक महिला ने बताया कि 21 और 22 तारीख को खराब हुए मौसम के में बािरश हुई थी तब तय्यबा बारिश के पानी में भीग गई थी और उसे सर्दी बुखार हो गया था उसे इलाज के लिए बलरामपुर अस्पताल ले जाया गया था जहंा रविवार को उसकी मौत हो गई। महिला के अनुसार तय्यबा जुझारू किस्म की युवती थी और शुरू से ही वो घण्टा घर के मैदान मे हो रहे विरोध प्रदर्शन मे व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए वालन्टियर की डियूटी को बाखूबी निभा रही थी । विरोध प्रदर्शन कर रही महिला का कहना था कि तय्यबा की कमी हमे जिन्दगी भर खलेगी क्यूकि वो लाखो महिलाओ की तरह से ही सच्चे मन से केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशेधन कानून एनआरसी और एनपीआर का सवैधानिक तरीके से शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रही थी। हालाकि तय्यबा के परिजन उसकी मौत को घण्टा घर के मैदान मे हो रहे विरोध प्रदर्शन से जोड़ कर नही देख रहे है लेकिन यहंा विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाए तय्यबा की मौत पर गमज़दा है और उनका कहना है कि तय्यबा ने सर्दी गर्मी बरसात की चिन्ता किए बगैर जिस तरह से विरोध प्रदर्शन मे सवैधानिक तरीके से भाग लिया और इस दौरान ही उसकी मौत हुई उसकी ये मौत मौत नही बल्कि कुर्बानी है तय्यबा की कुर्बानी खाली नही जाएगी और हमारे विरोध प्रदर्शन का कोई न कोई हल ज़रूर निकलेगा सरकार को इस काले कानून को वापस लेना ही होगा वरना हम महिलाए इसी तरह से अपनी आखरी संास तक संवाधानिक तरीके से शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन करते रहेगे। हालाकि 39 दिन पहले जब यहा घण्टा घर के मैदान मे मात्र 20 महिलओ द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया था तब कड़ाके की ठन्ड थी और खुले आसमान के नीचे महिलाए घने कोहरे की चादर के बीच इन्कलाब जिन्दाबाद के नारे लगा रही थी इस बीच मौसम ने कई बार करवंट ली और अब दिन के समय यहंा विरोध प्रदर्शन कर रही सैकड़ो महिलाओ को तेज़ धूप परेशान करने लगी है बावूजद इसके प्रशासन ने महिलाओ को अभी तक बारिश और धूप से बचने के लिए यहंा टेन्ट लगाने की इज़ाज़त नही दी है।

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