अब रात मे ठन्ड और दिन मे तेज़ घूप कर रही है महिलाओ को परेशान
लखनऊ। नागरिकता कानून एनआरसी एनपीआर के खिलाफ लखनंऊ के घण्टा घर मैदान मे महिलाओ द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन मे सैकड़ो महिलाओ ने एक महिना पूरा करते हुए महिलाओ के विरोध ने दूसरे महने मे प्रवेश कर लिया है। 17 जनवरी की दोपहर 20 महिलाओ ने नागरिकता कानून , एनआरसी एनपीआर के खिलाफ घण्टा घर के मैदान से विरोध की आवाज़ उठाई थी 20 महिलाओ की आवाज़ इतनी बुलन्द हुई कि इस विरोध प्रदर्शन में पूरे प्रदेश की महिलाओ ने शामिल होकर एक स्वर मे सीएए, एनआरसी, एनपीआर का विरोध शुरू किया जो आज लगातार 32वें दिन भी जारी है। 17 जनवरी को कड़ाके की ठन्ड घने कोहरे और खुले आसमान के नीचे महिलाओ द्वारा शुरू किए गए शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन में कई धर्मगुरू और सामाजिक कार्यकर्ताओ ने हिससा लेकर महिलाओ का मनोबल बढ़ाया । केन्द्र सरकार से सीएए वापस लेने की मांग को लेकर घण्टा घर के मैदान मे महिलाओ द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए पुलिस का कोई भी हथकण्डा काम नही आया और विरोध प्रदर्शन कम होने की बजाए विरोध का दायरा बढ़ता गया। 17 जनवरी को जब घण्टा घर के मैदान मे विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था तब सीआरपीसी की धारा 144 लागू नही थी लेकिन बाद मे पुलिस ने गणतंत्र दिवस और डिफेंस एक्सो की बात कह कर पूरे शहर में धारा 144 लागू करके किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबन्ध लगाते हुए महिलाओ के इस विरोध प्रदर्शन को भी अवैधानिक करार देकर कई मुकदमे दर्ज किए और कई लोगो को गिरफ्तार कर जेल मे डाल दिया लेकिन विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ पर न तो कड़ाके की घन्ड का असर पड़ा न सर्द हवाओ का न कोहरे का और न ही पुलिस की सख्ती का यहंा तक महिलाओ ने आरोप लगाया कि कड़ाके की ठन्ड मे पुलिस ने उनके कम्बल छीन लिए जलती हुई आग पर पानी डाल कर उसे बुझा दिया आसपास की लाईटो को बुझवा दिया और महिलाओ के शौचालय पर भी ताला जड़वा दिया लेकिन जोश से लबरेज़ महिलाओ का मनोबल पुलिस की कोई भी कार्यवाही तोड़ नही पाई। इसी तरह से गोमती नगर के उजरियावं मे भी सीएए , एनआरसी ,एनपीआर के खिलाफ महिलाओ द्वारा शुरू किया गया शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन भी एक माह पूरा करने के करीब है यहंा भी विरोध प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए पुलिस ने कोई कोर कसर नही छोड़ी लेकिन यहंा भी महिलाए उसी तरह से डटी रही जिस तरह से दिल्ली के शहीनबाग और लखनऊ के घण्टा घर मैदान मे डटी हुई है। कामयाबी की आस लिए विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ की मेहनत रंग लाती है या फिर उन्हे इस विरोध प्रदर्शन की कड़ी कीमत अदा करनी पड़ती है ये तो आने वाला समय ही बताएगा।