बड़े माओवादी नेता अरविन्द की बूढ़ापहाड़ पर मौत!

बड़े माओवादी नेता अरविन्द की बूढ़ापहाड़ पर मौत!

एक करोड़ रुपए का इनामी सह बिहार-झारखंड के शीर्ष माओवादी नेता देव कुमार सिंह उर्फ अरविन्द की बूढ़ापहाड़ के इलाके में हार्ट अटैक से मौत की सूचना मिल रही है। हालांकि कोई भी पुलिस और सुरक्षा अधिकारी इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि बीते तीन महीने से अरविंद की तबीयत ज्यादा खराब थी। राज्य पुलिस प्रवक्ता सह आईजी ऑपरेशन आशीष बत्रा ने बताया कि अरविंद की मौत की खबर आई है, पुलिस इस सूचना को सत्यापित करने का प्रयास कर रही है।

भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमेटी का सदस्य अरविन्द कई महीनों से बीमार था और बूढ़ापहाड़ के इलाके में दो वर्ष से भी अधिक समय से जमा हुआ था। अरविन्द को झारखंड-बिहार के कई बड़े नक्सल हमले का मास्टर माइंड माना जाता था, वह माओवादियों का बिहार-झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़ कमेटी का टॉप कमांडर था। देवकुमार सिंह उर्फ अरविन्द बिहार के जहानाबाद जेल ब्रेक, कटिया हमला, डुमरिया हमला, पूर्व सांसद इन्दर सिंह नामधारी के काफिला पर हमला समेत कई बड़े घटनाओं का मुख्य आरोपी है।

मूलत: बिहार के जहानाबाद का रहने वाला और पटना विश्वविद्यालय से विज्ञान का विद्यार्थी रह चुका अरविन्द कई दशकों से माओवादी गतिविधि में सक्रिय रहा है। अरविन्द को पकड़ने के लिए पुलिस ने कई बार बूढ़ापहाड़ के इलाके में अभियान चलाया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। अरविन्द की बीमारी के कारण माओवादियों ने इलाके में सुधाकरण को कमांडर बना कर भेजा है। अरविन्द के नेतृत्व में ही नक्सलियों 2006-07 में देश में पहली बार बिहार के जहानाबाद  में जेल ब्रेक किया था और 300 से अधिक कैदियों को छुड़ाया था। 2013 में कटिया हमले में 17 जवान शहीद हुए थे और अरविन्द के कहने पर ही शहीद जवान के पेट में बम लगाया गया था। अरविन्द माओवादियों का थिंक टैंक और मास्टर प्लानर था। अरविन्द की सुरक्षा में करीब 100 से 150 नक्सली हमेशा तैनात रहते थे और उसका एक अपना घोड़ा दस्ता था। बताया जाता है कि अरविन्द का घोड़ा उसे देख कर पहचान जाता था और सवारी के दौरान वह बैठकर अरविन्द को चढ़ाता था।

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