शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन के बीच देश भक्ति गीत जज़्बाती नारे और शेरो शायरी लगातार जारी
लखनऊ। नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ लखनऊ के एतिहासिक घंटा घर के मैदान मे पिछले 11 दिनो से महिलाओ का शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन आज भी जारी रहा। 17 जनवरी शुक्रवार की दोपहर मात्र 20 महिलाओ द्वारा घंटा घर के मैदान मे शुरू किए गए शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन को पुलिस ने जितना दबाने की कोशिश की उतना ही महिलाओ का विरोध प्रदर्शन विस्तार लेता गया। 17 जनवरी से लगातार दिन रात हो रहे महिलाओ के इस शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन मे सबसे ज़्यादा भीड़ गणतंत्र दिवस के अवसर पर देखने को मिली रविवार का दिन ऐसा दिन गुज़रा जब घंटा घर के विशाल मैदान मे पैर रखने तक की जगह नही बची थी। महिलाओ के द्वारा किए जा रहे इस विरोध प्रदर्शन मे खास बात ये देखने को मिली की विरोध प्रदर्शन मे शामिल अधिक्तर महिलाए ऐसी महिलाए है जिन्होने अपना पूरा जीवन गृहिणी के तौर पर जिया है। विरोध प्रदर्शन मे शामिल अधिकतर महिलाए घर की रसोई से बाहर ही नहीं निकली थी लेकिन लेकिन भारत सरकार द्वारा बनाए गए नागरिकता कानून के बाद 19 दिसम्बर को लखनऊ मे हुए विरोध प्रदर्शन मे हुई हिंसा के बाद पुलिस ने तमाम लोगो के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर तमाम लोगो को जेल भेजा था कई दिनो तक पुलिस द्वारा विरोध प्रदर्शन मे शामिल हुए लोगो की गिरफ्तारी का सिलसिला चलता रहा था 19 दिसम्बर को हुसैनाबाद क्षेत्र मे विरोध प्रदर्शन के दौरान चली गोली से वकील नाम के एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी जिसके बाद लखनऊ मे विरोध प्रदर्शन का सिलसिला थम सा गया था लेकिन दिल्ली के शाहीन बाग से प्रेरणा लेकर लखनऊ मे 17 जनवरी को 20 महिलाए अपने अपने घरो से निकली और घंटा घर के मैदान मे सीएएए एनआरसी के खिलाफ शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन का ऐसा बिगुल फूका जिसकी आवाज़ सुन कर लखनऊ शहर के अलावा प्रदेश के तमाम ज़िलो से महिलाए घंटा घर पहुॅचने लगी । हालाकि 17 जनवरी को जब महिलाओ ने शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू किया था तब शहर मे धारा 144 लागू नही थी लेकिन बाद मे पुलिस ने गणतंत्र दिवस और लखनऊ मे आयोजित होने वाले डिफेन्स एक्सपो के मददे नज़र पूरे शहर मे धारा 144 लागू करके महिलाओ के इस विरोध प्रदर्शन को गैर कानूनी घोषित कर दिया और महिलाओ के इस विरोध प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया लेकिन अटल इरादो के साथ विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ पर न तो कड़ाके की ठन्ड का असर हुआ न कोहरे का न सर्द हवाओं का न पुलिस की सख्ती का और न ही मुकदमो का खौफ नज़र आया । 17 जनवरी के बाद दिन गुज़रते गए और लखनऊ का घंटा घर दिल्ली के शाहीन बाग की शक्ल लेता गया 20 महिलाओ की सख्या मे इज़ाफा होता गया पहले महिलाओ की सख्या सैकड़ो मे पहुॅची फिर धीरे धीरे हज़ारो मे ये संख्या तब्दील होती चली गई। क्षेत्र स्तर पर शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन का प्रचार सोशल मीडिया के माध्यम से समूचे विश्व स्तर तक हुआ । जोश से लबरेज़ महिलाओ ने अपने हाथो मे तिरंगा उठा कर आन्दोलन की शुरू की तो लखनऊ की इन महिलाओ का ये विरोध प्रदर्शन एतिहासिक प्रदर्शन होता गया बुज़ुर्गो का कहना था कि उन्होने अपने पूरे जीवन मे कभी नही देखा कि लखनऊ की महिलाओ ने कभी इतनी शिददत के साथ इतने लम्बे समय तक विरोध प्रदर्शन किया हो। बाहरहाल विरोध प्रदर्शन के 11वें दिन भी घंटा घर के मैदान मे सैकड़ो महिलाए पूरी उर्जा के साथ उसी तरह से डटी हुई नज़र आई जैसे पहले डटी थी। रिहाई मंच के शुएब भी आज भारी सख्ंया मे अधिवक्ताओ के ससाथ घंटा घर के मैदान मे महिलाओ के बीच पहुॅचे हालाकि शुएब इससे पहले भी घंटा घर पहुॅच चुके है
मौलाना खालिद रशीद पहुॅचे घंटा घर सरकार को लिया आड़े हाथ बोले वापस हो सीएए
ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली आज सीएए एनआरसी के खिलाफ घंटा घर के मैदान मे हज़ारो महिलाओ द्वारा किए जा रहे शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन के 11वें दिन पहुॅच ही गई है। मौलाना खालिद रशीद को अपने बीच पाकर विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ का जोश और ज़्यादा बढ़ गया। घंटां घर के मैदान मे पहुॅचे मौलाना खालिद रशीद का महिलाओ ने गर्म जोशी के साथ स्वागत किया। मौलाना खालिद रशीद के अलावा मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी भी विरोध प्रदर्शन के 11वे दिन घंटा घर के मैदान मे महिलाओ के बीच पहुॅचे और उनकी हौसला अफज़ाई की । इसके अलावा ईसाई धर्म गुरू बिशप गेराल्ड मैथिस भी घंटा घर के मैदान मे विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ के बीच पहुॅचे और उन्होने भी महिलाओ का उत्साह वर्धन करते हुए उनकी तारीफ की। घंटा घर के मैदान मे पहुॅचे मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि बड़े ही अफसोस की बात है कि इतने लम्बे समय से लखनऊ और दिल्ली के शाहीन बाग मे महिलाए सख्त ठन्डक के बावजूद सीएए एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है और महिलाओ के हुकूक की बात करने वाली सरकार चुप है उन्होने कहा कि उन्होने कहा कि मौजूदा समय मे पूरी दुनियां मे भारत का नाम बदनाम हो रहा है सरकार को सीएए एनआरसी मे या तो मुसलमानो को भी शामिल करना चाहिए या फिर सीएए को वापस लेना चाहिए उन्होने कहा सरकार को महिलाओ की मांग मानते हुए सीएए को वापस लेना चाहिए । उन्होने कहा कि अवाम को साथ लिए बगैर कोई भी हुकूमत ज़्यादा दिन टिक नही पाती है उन्होने कहा कि 19 दिसम्बर को लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान जो हिंसा हुई थी वो अफसोस नाक है सबको पता है कि हिसां के पीछे किसका हाथ था ये भी सब लोग जानते है उन्होने कहा कि मुददे से भटकाने के बजाए सीएए को वापस लिया जाए।