शनिवार को दिन भर रहा अनिश्चितता का माहौल, महिलाओ ने लगाए पुलिस पर अभद्रता के गम्भीर आरोप
लखनऊ। नागरिकता कानून के खिलाफ लखनऊ के एतिहासिक घंटा घर के मैदान मे पिछले नौ दिनो से लगातार हज़ारो महिलाए रिरोध प्रदर्शन कर रही है। कड़ाके की ठन्ड के बावूजद खुले आसमान के नीचे सभी उम्र की महिलाए अपने स्वाथ्य की परवाह किए बगैर सीएए वापस लिए जाने की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन धरने मे डटी हुई है। नौ दिनो से शान्तीपूर्ण तरीके से चल रहे महिलाओ के विरोध प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए पुलिस तरह तरह के हथकन्डे अपना चुकी है लेकिन बावजूद इसके महिलाए पूरी शिददत के साथ डटी हुई है। धरने के पहले दिन ही पुलिस ने घंटा घर के मैदान मे बने शौचालय पर ताला लगा दिया था यही नही पुलिस ने रात के अन्धेरे मे घंटा घर के आस पास लगी लाईटो को भी बन्द करवा दिया था विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि पुलिस उनके धरने को समाप्त कराने के लिए मानवता की सारी हदे पार करते हुए कड़ाके की ठन्ड मे महिलाओ को ठन्ड से बचाने के लिए जलाए गए अलाव पर पानी डाल कर न सिर्फ उसे बुझाया बल्कि महिलाओ के लिए लाए गए कम्बल भी जबरदस्ती पुलिस ने छीने और महिलाओ के लिए लाई गई खादय सामग्री को भी पुलिस ने जब्त कर लिया था हलाकि महिलाओ के इस आरोप पर पुलिस ने सफाई देते हुए कहा था कि पुलिस ने विधिक तरीके से ये सब सामग्री जब्त की थी।
नौ दिनो से लगातार चल शान्तीपूर्ण तरीके से चल रहे महिलाओ के विशाल विरोध प्रदर्शन मे शामिल होने के लिए एक से बढ़ कर एक सामाजिक हस्तियो ने महिलाओ के बीच पहुॅच कर उनका मनोबल बढ़ाया तो पुलिस ने 18 जनवरी को गणतंत्र दिवस और डिफेन्स एक्सपो की बात कहते हुए पूरे शहर मे धारा 144 लाूग करते हुए किसी भी तरह के धरना प्रदर्शन को अवैधानिक घोषित कर दिया लेकिन बावजूद इसके महिलाए घंटंा घर के मैदान मे आज भी डटी हुई है । इन नौ दिनो मे कई बार ऐसे हालात बने जब घंटा घर के मैदान मे शान्तीपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ के चारो तरफ भारी पुलिस बल का घेरा बनाया गया लेकिन जोश से लबरेज़ महिलाए अपनी जगह से एक ईन्च भी हटने को तैयार नही हुई और हर हालात का सामना करने के अपने संकल्प पर डटे रहते हुए लगातार नारे लगाती रही। इन नौ दिनो के अन्दर शायद ही कोई घड़ी ऐसी बीती हो जब घंटा घर के मैदान मे महिलाओ द्वारा लगाए जाने वाले नारो की आवाज़े खामोश हुई हो । दिन हो या रात धूप हो या छाव सर्द हवाओ घने कोहरे कड़ाके की ठन्ड और खुले आसमान के नीचे सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ पर किसी भी मौसम का असर होता नज़र नही आया । जोश से लबरेज़ महिलाए अनुशासित और लोकतंात्रिक तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रही है। खास बात ये रही कि आज से नौ दिन पूर्व घंटा घर के मैदान मे मात्र 20 महिलाओ ने पहुॅच कर सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था लेकिन महिलाओ की सख्या लगातार बढ़ती रही और सैकड़ो से हज़ारो मे पहुॅच गई हालाकि विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओ को ये एहसास भी है कि जिस मुददे को लेकर वो विरोध प्रदर्शन कर रही है वो किसी अधिकारी किसी एक नेता किसी एक थाने की पुलिस या किसी एक संगठन के लिए नही है बल्कि उनका विरोध केन्द्र मे प्रचन्ड बहुमत वाली भाजपा सरकार के खिलाफ है जिसे इतनी जल्दी अपना फैसला वापस लेने के लिए मजबूर करना आसान नही है बावजूद इसके महिलाए पूरी शिददत के साथ विरोध प्रदर्शन पर डटी हुई है उन्हे न तो अपने अन्जाम का डर है और न ही विरोध प्रदर्शन का रिज़ल्ट ही पता है। कुल मिला कर देश मे लाखो लोग अन्धेरे मे ही विरोध प्रदर्शन का तीर चला रहे है। विरोध प्रदर्शन का ये तीर अन्धेरे मे निशाने पर लगेगा भी या नही ये तो वक्त ही बताएगा।