मोबाइल हो गया सबकुछ’’ नाटक का मंचन कल

लखनऊ। ह्यूमन वेलफेयर सोसायटी लखनऊ की इकाई नीना मेमोरियल फ़िल्म एण्ड नाट्य कला रंगमंच के कलाकार एंव बालकलाकार द्वारा प्रसिद्व लेखक व निर्देशक एम0 अली मदहोश कृत हास्य नाटक ‘‘ मोबाईल हो गया सबकुछ’’ का मंचन 25 जनवरी 2020 को प्रातः 11 बजे संस्था के कार्यालय ह्यूमन वेलफ़़ेयर सोसायटी मोहनीपुरवा हुसैनाबाद पर किया जायेगा। हास्य नाटक मोबाइल के सदुपयोग व दुरुपयोग पर आधारित है। जनता से पांच सदस्यीय दो टीमों ‘ए मोबिल’ व ‘बी आॅयल’ का परिचय कराते हुए उद्धोषक समझती है कि ‘‘अच्छा मोबिल आॅयल आॅटोमोबाइल के इंजन की लाईफ़ चंगी करता है उसी तरह यह मोबिल व आॅयल नामक टीमें मोबाइल के सदुपयोग व दुरुपयोग पर जनता की चेतना चुस्त दुरुस्त और चंगी करती है।’’ टीम ‘ए’ मोबाइल का सदुपयोग बताती है कि अच्छी नौकरी, सुन्दर छोकरी, रहने केलिए कोठरी, फ़ूलों की टोकरी सबकुछ मोबाइल पर उपलब्ध है। बस बटन दबाते ही इच्छा पूरी हो जाती है। बटन दबाकर चांद पर प्लाट भी बुक किया जा सकता है। इण्टरनेट और मोबाइल के संगम से पूरी दुनियां मुट्ठी में है। बिना मोबाइल के सुखी जीवन की कल्पना ही नही की जाती। सरकार इण्टरनेट पर पाबंदी लगा देती है तो जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। मोबाइल नही जादू का पिटारा हो गया है। प्रेम पत्र व शादी के निमंत्रणपत्र भी मोबाइल हो गये है। प्रेमी व प्रेमिका भी भाग जाने केलिए सैटलाईट नक़्शे का उपयोग करने लगे है। इतना सबकुछ देकर केवल बैठरी ही खाता है मोबाइल! …… मोबाइल है हमारी चुटकी में, हुई दुनिया हमारी मुट्ठी में। मोबाइल जो भी ठुकरायेगा, महान अज्ञानी कहलायेगा।।
टीम ‘बी’ आॅयल मोबाइल का दुरुपयोग बताती है कि ‘‘ मोबाइल की पड़ी सबको लत….हो गये बुरे हालात, ….टाॅक करते हुए वाॅक… तौबा तौबा … ना सड़क दिखे ना छत … समझो दुर्घटना हो जाती है झटपट। असुरक्षित सेल्फ़ी के चक्कर में … कुछ गिरे पहाड़ी से कुछ छत से, कैसे छुटकारा मिलेगा नौजवानों को इस लत से….. बना रहा रेडिएशन अंधा और काना ….. मतभ्रमित करे और बना दे दीवाना … बना लिया है लोगो ने…।

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