लखनऊ। उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन (यूपीपीसीएल) घोटाला मामले में पूर्व एमडी एपी मिश्रा को मंगलवार को ईओडब्लू ने गिरफ्तार कर लिया। सिधंशु द्विवेदी और पीके गुप्ता के बाद यह तीसरी गिरफ्तारी है। एपी मिश्रा को धन कुबेर कहा जाता है जो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी बताए जा रहे हैं। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों की भविष्य निधि के करीब 2600 करोड़ रुपये का अनियमित तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश किए जाने का खुलासा हुआ है। मामले में शनिवार को सीपीएफ ट्रस्ट और जीपीएफ ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता और तत्कालीन निदेशक (वित्त) एवं सह ट्रस्टी सुधांशु द्विवेदी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की है। गिरफ्तार एपी मिश्रा को आज किसी भी वक्त कोर्ट में पेश कर उनकी पुलिस सुतोद्य मांगी जाएगी। सुधांशु द्विवेदी और पीके गुप्ता की कस्टडी के लिए सोमवार को ही अर्जी दाखिल की जा चुकी है। आज ईओडब्लू तीनों को कस्टडी में लेकर जांच आगे बढ़ाएगी। एपी मिश्रा यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी रहे हैं। इन्हें मुलायम सिंह और अखिलेश यादव का करीबी बताया जाता है। 2012 में अखिलेश सरकार बनते ही किसी आईएएस की जगह एक इंजीनियर एपी मिश्रा को यूपीपीसीएल का प्रबंध निदेशक बनाया गया था। वे पूर्वांचल व मध्यांचल के भी एमडी रहे हैं। इतना ही नहीं उन्हें रिटायर होने के बाद तीन बार सेवा विस्तार भी मिला था। लेकिन योगी सरकार बनने के बाद 24 नवंबर 2017 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। आरोप है कि 17 मार्च 2017 में जब योगी सरकार का शपथ ग्रहण नहीं हुआ था तभी आनन-फानन में एपी मिश्र के कहने पर ही डीएचएफएल में निवेश की पहली किस्त जारी कर दी गई थी।
