बाबरी प्रकरण पर बोले जमियत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष कहा जुफर फारूकी की भूमिका पर है संदेह

बाबरी प्रकरण पर बोले जमियत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष कहा जुफर फारूकी की भूमिका पर है संदेह

सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन का दिया एल्टीमेटम


लखनऊ।  हिन्दुस्तान के सबसे जवलन्त मुददे बाबरी मस्जिद राम जन्म भूमि मामले मे आज जमियत उलमा उत्तर प्रदेश ने बड़ा बयान दिया है। जमियत उलमा उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा कासमी ने कहा है कि बाबरी मस्जिद और राम मंदिर मामले में समझौते की सभी कोशिशों की नाकामी के बाद सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई जारी है, लिहाजा अदालत में पूरी मजबूती के साथ पैरवी की जाए उन्होने यूपी प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता मे आरोप लगाते हुए कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड की पैरवी पर गम्भीर आरोप लगाए है उन्होने कहा है कि इस प्रकरण मे सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन जु़फ़र फारूकी का रोल संदेहास्पद है उन्होने कहा कि जो अधिवक्ता आज तक केस की मजबूती तैयारी के साथ पैरवी कर रहे हैं, उन अधिवक्ताआंे को हटाकर नए और ऐसे अधिवक्ताओं को पैनल में शामिल करना जिनका किरदार बाबरी मस्जिद के हवाले से शुरू से ही संदिग्ध रहा है, नाकाबिले कबूल है उन्होने कहा कि हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं । मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा कासमी ने मीडिया के माध्यम से सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी से कहा है कि वह बराये मेहरबानी बाबरी मस्जिद का सौदा ना करें। मौलाना कासमी ने आगे कहा कि अगर समझौता हो जाए तो यह बहुत अच्छी बात है लेकिन हमें किसी भी कीमत पर इस मसले पर सौदेबाजी कबूल नहीं है। मौलाना उसामा ने पत्रकारों को बताया कि पहले दिन से जमीअत उलमा हिन्द इस मामले में पक्षकार रही है और जमीअत के अधिवक्ता सुन्नी वक्फ बोर्ड को अपना पूरा सहयोग देते आ रहे हैं लेकिन हाल के कुछ दिनों में सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन की तरफ से जो रवैया अपनाया गया उससे पूरी कौम में चिंता की लहर दौड़ गयी है। कोर्ट तर्काें के आधार पर जो भी फैसला करे वह सबको मंजूर होना चाहिए, लेकिन फिलहाल जरूरत इस बात की है कि अधिवक्ताओं के जरिए अदालत में पूरी तैयारी के साथ मजबूत पैरवी की जाए। मौलाना ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम पूरी कौम की तरफ से सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी को यह पैगाम देना चाहते हैं कि वह ऐसी कोई खुफिया डील न करें जो देश के संविधान के विरुद्ध और मिल्लत के लिए नुकसान दायक हो । मौलाना ने कहा कि हमें किसी भी सूरत में सौदेबाजी मंजूर नहीं । मौलाना ने सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन से अपील करते हुए ऐलान किया कि अगर उन्होंने अपना रवैया नहीं बदला तो हमको सुन्नी वक़्फ बोर्ड के कार्यालय के सामने बड़े स्तर पर विरोध प्रर्दशन और धरना करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मौलाना उसामा ने कहा कि जमीयत उलमा का मानना है कि अभी भी हमारे प्यारे देश हिंदुस्तान में इंसाफ कायम हैं यहां कानून का राज चलता है। यहां निष्पक्ष अदालतें हैं अदालत में हर किसी को अपने पक्ष में बात रखने, सबूत दिखाने, दलीलें देने और सच्चाई को बताने का पूरा अधिकार है इसके बाद अदालतें दलीलों और सबूतों के आधार पर अपना फैसला सुनाती हैं, लेकिन अगर अदालत में ही ठीक तरीके से अपनी बात नहीं रखने दी गई और उसे गुमराह किया गया तो इंसाफ कहां बाकी रह जाएगा। उन्होने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन की जानिब से इसी तरह का रवैया अपनाया जा रहा है उनके द्वारा जो अच्छे तजुर्बेकार और पुराने  वक्त से बाबरी मस्जिद का केस लड़ने वाले अधिवक्ता हैं वह पूरी तैयारियों के साथ अदालत में जाकर बाबरी मस्जिद के पक्ष में अपनी बात रखते थे उनको ठीक ऐसे वक्त में हटा देना जब सुप्रीम कोर्ट में रोजाना इस गम्भीर मामले की सुनवाई हो रही हो गम्भीर है । मौलाना ने बोर्ड द्वारा वकीलो के पैनल मे बदलाव को संदिग्ध माना है उन्होने कहा है कि नए नए चेहरों को पुराने तर्जुबेकार वकीलो के स्थान पर पैनल में जगह देना बेहद खतरनाक और इंसाफ का कत्ल करने के जैसा है। ऐन मौक़े पर ऐसा होने से जमीयत उलमा को खुफिया सौदेबाजी होने का संदेह है और इस तरह की खुफिया सौदेबाजी पूरी कौम से बड़ी गद्दारी बेहद शर्मनाक और बहुत ही अफसोस नाक है । मौलाना ने कहा कि हमारे प्यारे मुल्क में अमन कायम रखने के लिए संविधान की रक्षा और न्याय की स्थापना बेहद जरूरी है। यह बात किसी वर्ग विशेष के फायदे या नुकसान कि नहीं बल्कि सही मायनों में अगर देखा जाए तो चेयरमैन की इस घटिया हरकत को हमारे मुल्क का कोई भी न्याय प्रिय नागरिक और अमनप्रिय देश बंधु पसंद नहीं करेगा।

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