ज़मीन से लेकर थी आसमान तक सुरक्षा चप्पे चप्पे पर था पुलिस का पहरा
डीएम कौशल राज शर्मा एसएसपी कलानिधि नैथानी रहे खुद मौजूद
लखनऊ। हज़रत इमाम हुसैन अ0स0 की शहादत का गम आज पूरी दुनिया मे मनाया गया। पुराने लखनऊ मे हज़रत इमाम हुसैन की याद मे यौमे आशूर का जुलूस गमज़दा माहौल मे कड़ी सुरक्षा के बीच निकाला गया। सुबह दस बजे नाज़िम साहब के इमाम बाड़े मे मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी ने जुलूस से पहले मजलिस पढ़ी जिसमे उन्होने कर्बला का खौफनाक म़ंजर बयान किया तो गमज़दा अज़ादार अपने आपको रोने से रोक नही पाएं और फूट फूट कर रोए। मौलाना कल्बे जव्वाद कर्बला का मंज़र बयान कर रहे थे तो वहंा मौजूद हज़ारो अकीदतमंद अज़ादार इमाम हुसैन को याद कर रो रहे थे। मजलिस के बाद नाज़िम साहब के इमाम बाड़े से यौमे आशूर का जुलूस शुरू हुआ तो जुलूस मे शामिल मातमी अन्जुमनो ने कमा और छुरिया का मातम कर इमाम हुसैन की याद मे अपने आपको लहुलुहान कर लिया। जुलूस मे शामिल मातमी अन्जुमनो के हज़ारो लोग मातम करते हुए या हुसैन के नारे लगाते हुए कर्बला तालकटोरा की तरफ बढ़ रहे थे। जुलूस से पहले ही एसएसपी कलानिधि नैथानी ने सुरक्षा के चाक चैबन्ध प्रबन्ध कर लिए थे चप्पे चप्पे पर पुलिस का पहरा था जमीन से लेकर आसमान तक कैमरो के माध्यम से जुलूस की निगरानी जारी रही । जुलूस के रास्ते मे सीसीटीवी कैमरा टीम पूरी तरह से मुसतैद रही और आसमान से ड्रोन कैमरा भी जुलूस की निगरानी करता रहा। मंगलवार की सुबह 10 बजे यौमे आशूर का जुलूस बजाज़ा स्थित नाज़िम साहब के इमाम बाड़े से शुरू हुआ जो अकबरी गेट, नख्खास बिल्लौचपुरा, विक्टोरिया स्ट्रीट , बाज़ार खाला, हैदरगंज, बुलाकी अडडा होता हुआ अपने निर्धारित समय पर कर्बला तालकटोरा शान्तीपूर्ण माहौल मे सम्पन्न हो गया। इस बीच ज़िलाधिकारी कौशल राज शर्मा एसएसपी कलानिधि नैथानी एएसपी पश्चिम विकास चन्द्र त्रिपाठी सीओ चैक सीओ दुर्गा प्रसाद तिवार बाज़ार खाला अनिल कुमार यादव पूरी मुस्तैदी के साथ जुलूस की सुरक्षा व्यवस्था मे डटे रहे । एसएसपी कलानिधि नैथानी ज़िलाधिकारी के साथ जुलूस के मार्ग पर भ्रमण करते रहे और अपने मातहतो को सुरक्षा के दिशा निर्देश भी देते रहे। नवी मोहर्रम की रात े इमाम हुसैन के चाहने वाले रात भर मातम करते रहे सुबह होते ही अपने अपने घरो अज़ादारों ने ताज़िए निकाल कर उन्हे नम आखो से सुपुर्द-ए-ख़ाक किया । जुलूस मे शामिल मातमी अन्जुमने इमाम हुसैन और उनके साथ कर्बला के मैदान मे शहीद हुए उनके 71 साथियो का गम मनाते हुए माातम करते हुए भीषण गर्मी मे पथरीली ज़मीन पर कर्बला तालकटोरा तक नंगे पैर गए और नम आखो के साथ ताज़िये को सुपुर्द-ए-खाक किया। यौमे आशूरा के दिन रात नौ बजे इमाम बाड़ा गुफ्रान मआब मे शाम-ए-गरीबंा की मजलिस होती है इस मजलिस को मौलाना कल्बे जव्वाद खिताब करते है।