गमज़दा माहौल मे निकला शब-ए-आशूर का जुलूस

गमज़दा माहौल मे निकला शब-ए-आशूर का जुलूस

सुरक्षा घेरे मे चलता रहा जुलूस सीसटीवी और ड्रोन कैमरा करता रहा निगरानी


लखनऊ। पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे मुशकिल कुशा शेरे खुद हज़रत अली अ0स0 के बेटे हज़रत इमाम हुसैन अ0स0 की शहादत दस मोहर्रम को कर्बला के मैदान मे हुई थी। इस दिन को यौमे आशूर के दिन के नाम से जाना जाता है । यौमे आशूर के दिन पूरी दुनिया में हज़रत इमाम हुसैन का गम मनाया जाता है। यौमे आशूर से पहले नौ मोहर्रम की रात पुराने लखनऊ मे नाज़िम साहब के इमाम बाड़े से शब-ए-आशूर का जुलूस निकाला गया । जुलूस से पहले शिया आलिमे दीन मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने मजलिस को खिताब किया मजलिस के बाद हज़रत इमाम हुसैन के चाहने वाले गमज़दा अज़ादारो ने शब-ए-आशूर का जुलूस निकाला । नाज़िम साहब के इमाम बाड़े से शुरू हुआ शब-ए-आशूर का जुलूस अकबरी गेट ,नख्खास, टूरियांगंज, गिरधारा सिंह इन्टर कालेज, मंसूर नगर, होता हुआ दरगाह हज़रत अब्बास मे देर रात सम्पन्न हुआ। स्वयम्भू खलीफा यज़ीद ने हज़रत इमाम हुसैन अ0स0 पर दबाव बनाया था की वो उससे बैयत कर लें लेकिन हज़रत इमाम हुसैन जालिम यज़ीद से बैयत नही करना चाहते थे इस लिए यज़ीद ने उनके कत्ल की साज़िश रची थी हालाकि इमाम हुसैन यज़ीद से जंग नही करना चाहते थे क्यूकि वो अमन चाहते थे लेकिन यज़ीद अमन और इस्लाम दोनो का दुशमन था । 2 मोहर्रम को कर्बला पहुॅचे के बाद इमाम हुसैन के पूरे काफिले को यज़ीद की फौजो ने घेर लिया था नहर-ए-फुरात के करीब कर्बला के मैदान मे रूके इमाम हुसैन के काफिले के लोगो के लिए यज़ीद की फौजो ने सांतवी मोहर्रम से ही पानी पर पाबन्दी लगा दी थी इमाम हुसैन का पूरा काफिला प्यास की शिददत से परेशान था। इस बीच हज़रत इमाम हुसैन ने यज़ीद से कहा था कि वो उन्हे हिन्दुस्तान जाने दे क्यूकि हिन्दुस्तान मे मुसलमान तो नही बल्कि इन्सान रहते है लेकिन जंग पर आमादा यज़ीद ने उनकी बात को नही माना और जंग के लिए अड़ा रहा जिस पर हजरत इमाम हुसैन अ0स0 ने नवीं मोहर्रम की रात मे यज़ीद से एक रात की मोहलत मांगी थी इस पूरी रात को उन्होने इबादत मे गुज़ार दिया इमाम हुसैन के लश्कर को यज़ीद की फौज ने चारो तरफ से घेर रख्खा था । इमाम हुसैन अ0स0 और उनके साथी रात भर अल्लाह की इबादत करते रहे दसवीं मोहर्रम की सुबह कर्बला के मैदान मे हज़रत इमाम हुसैन ने अपने 71 साथियो के साथ यज़ीद की फौज के साथ जंग शुरू की और दिन भर चली कुर्बानियों मे एक के बाद एक इमाम हुसैन के साथी शहीद होते रहे अन्त मे अस्र की नमाज़ के समय हज़रत इमाम हुसैन अ0स0 भी शहीद हो गए । कर्बला के मैदान मे हज़रत इमाम हुसैन ने अपने सभी 71 साथियो के साथ मज़हबे इस्लाम के लिए अपनी शहादत दे दी । कर्बला के मैदान मे नवी मोहर्रम की रात इमाम हुसैन ने अपने साथियो के साथ किस परेशानी मे गुज़ारी थी इसी कुर्बानी भरी रात की याद मे शिया समुदाय के लोग शब-ए-आशूर का जुलूस निकालते है। शब-ए-आशूर के जुलूस को शान्तीपूर्ण माहौल मे सम्पन्न कराने के लिए एसएसपी कलानिधि नैथानी ने पहले से ही सुरक्षा की पुख्ता तैयारी करते हुए जुलूस के पूरे मार्ग को पुलिस छावनी मे तब्दील कर दिया था । संवेदनशील माने जाने वाले बिल्लौचपुरा चैराहे पर अमन कमेटी व सिविल डिफेन्स के साथ पुलिस अफसर भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे । शब-ए-आशूर का जुलूस पूरी अकीदत के साथ शान्तीपूर्ण माहौल मे निकाला गया। जुलूस मे शामिल गजमज़ा अजादार कमा और छुरियो का मातम भी कर रहे है। शब-ए-आशूर की पूरी रात लाखो लोग जाग कर इबादत मे गुज़ारने के बाद दसवीं मोहर्रम को यौमे आशूर का जुलूस निकालते है। खबर लिखे जाने तक शब-ए-आशूर का जुलूस जारी था

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