मश्क़ भर के नहर से प्यासा निकल आया जरी यह सिफ़त देखी गई अब्बास के किरदार मेँ
लखनऊ।;रिपोर्ट शेख साजिद आठ मोहर्रम की शब दरिया वाली मस्जिद से निकलने वाला अलम ए फातहे फुरात का जुलूस अपने निर्धारित समय से निकाला गया। ये जुलूस हज़रत इमाम हुसैन के भाई जनाब अब्बास अलमदार की याद में निकाला जाता है ।
हजरत अब्बास को इमाम हुसैन ने कर्बला में अलम देकर यह कहा था की अब्बास आज से तुम लश्कर के सरदार हो
रोज़े आशूरा जब सकीना बीबी ने चचा अब्बास से कहा कि हाय पियास मारे डालती है तब इमाम हुसैन ने हज़रत अब्बास से कहा कि अब्बास पानी की सबील करो ।
हजरत अब्बास अलम और मशकिज़ा लेकर नहर फुरात की तरफ गए ।
मश्क़ पानी से भरी और हाथ में पानी लिया और कुछ देर देखा फिर पानी को नहर में फेंक दिया। हज़रत अब्बास मशक लेकर चले तभी यज़ीदी फौज ने उन्हें घेर लिया और उनके हाथों को क़लम कर दिया लेकिन हज़रत अब्बास दांतों से अलम को संभाले रहे लेकिन मश्क़ में तीर लगा और पानी बह गया तो ।
हजरत अब्बास ने खेमों की तरफ जाना अच्छा न समझा और फिर दुश्मनों ने उन्हें शहीद कर दिया। आठवीं मोहर्रम को उसी की याद में यह जुलूस निकाला जाता है । जुलूस में शामिल अजादार हाय सकीना हाय अब्बास कह कह कर गिरया व ज़ारी करते हैं और नम आंखों से उन्हें खिराजे अक़ीदत पेश करते हैं ।जुलूस से पहले मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी ने मजलिस को खिताब किया है । हर साल की तरह इस साल भी मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी ने मजलिस को खिताब किया ।मौलाना ने कर्बला का मंजर बयान किया और आठ मोहर्रम की मुनासबत से हज़रत अब्बास की शहादत का ज़िक्र किया जिसको सुन कर अजादारों की आंखें अश्क बार हो गईं। मजलिस के बाद अलम फातहे फुरात दरिया वाली मस्जिद से प्रारम्भ हुआ और अपने तय शुदा रास्ते से होता हुआ इमाम बाड़ा गुफरानमाब देर रात पहुंचा।
ज़िला प्रशासन पुलिस प्रशासन ने जुलूस को सकुशल सम्पन्न कराने के लिये सुरक्षा के पुख्ता इंतेज़ाम किये थे।
ड्रोन कैमरे के साथ साथ सीसीटीवी कैमरों से जुलूस की निगरानी के साथ साथ चप्पे चप्पे पर पुलिस फोर्स को तैनात किया गया था। पुलिस के आला अफसरान मुस्तैदी से खुद भी मौजूद थे। इससे शहर की मुख्तलिफ इमामबाड़ो में मजलिसों का एहतिमाम किया गया। न्यू नक्खास मार्किट में स्थित
इमामबाड़ा इकराम उल्लाह खान में आयोजित मजलिस को मौलाना हैदर मिया ने खिताब करते हुए जनाबे अब्बास द्वारा इस्लाम के लिए दी गई कुर्बानी का मंजर बयान किया तो आज़ादारो की आंखों से आंसू छलक गए। अलम फातेह फुरात के जुलूस को मशाल जुलूस के नाम से भी जाना जाता है रिवायत है कि जुलूस के साथ अज़ादार इस लिए मशाल लेकर चलते थे क्यूििक उस समय रौशनी का इन्तिज़ाम कम हुआ करता था आज भी इस जुलूस मे अज़ादा मशाल हाथो मे लेकर चलते है।