सरकार की कार्रवाई की भावना संस्थान के हित में होनी चाहिए

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा (CBI Director Alok Verma) से अधिकार वापस लेने और उन्हें छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने कहा कि अटार्नी जनरल ने उन्हें बताया है कि इस स्थिति के पीछे के हालात जुलाई में बने। कोर्ट ने कहा कि सरकार की कार्रवाई की भावना संस्थान के हित में होनी चाहिए।

वहीं बुधवार को सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने कहा था कि आखिर क्यों उन्हें सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और विशेष डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच सार्वजनिक लड़ाई के चलते बीच में उतरना पड़ा। साथ ही, दोनों को छुट्टी पर भेजने पर मजबूर होना पड़ा।

सीबीआई विवाद पर सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में यह साफ किया कि आखिर क्यों उन्हें सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और विशेष डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच सार्वजनिक लड़ाई के चलते बीच में उतरना पड़ा। साथ ही, दोनों को छुट्टी पर भेजने पर मजबूर होना पड़ा।

केन्द्र ने जज से कहा कि उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र के दायरे में काम किया औ र इसके अलावा उनके पास कोई और चारा नहीं था। केन्द्र सरकार की तरफ से पेश हुए शीर्ष कानूनी अधिकारी अटॉर्नी जनरल केसी वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा- “आलोक वर्मा और राकेश अस्थान के बीच लड़ाई काफी बढ़ गई थी और यह सार्वजनिक बहस का मुद्दा बन गया था। सरकार हैरान होकर देख रही थी कि आखिर दो शीर्ष अधिकारी कर क्या रहे हैं। वे बिल्ली की तरह झगड़ रहे थे।”

सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि जांच एजेंसी के निदेशक और विशेष निदेशक के बीच विवाद इस प्रतिष्ठित संस्थान की निष्ठा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा रहा था। भाषा के अनुसार, अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दो शीर्ष अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना का झगड़ा सार्वजनिक हुआ जिसने सीबीआई को हास्यास्पद बना दिया।

सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने कहा, वर्मा और अस्थाना के बीच संघर्ष ने अभूतपूर्व और असाधारण स्थिति पैदा कर दी थी। अटार्नी जनरल ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश की इस प्रमुख जांच एजेन्सी में जनता का भरोसा बहाल हो।

इससे पहले आलोक कुमार वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि उनकी नियुक्ति दो साल के लिए की गयी थी और इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। यहां तक कि उनका तबादला भी नहीं किया जा सकता। आलोक वर्मा की याचिका पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हम आरोप-प्रत्यारोपों में नहीं जा रहे। हम इस मुद्दे की जांच विशुद्ध रूप से कानून के विषय के रूप में कर रहे हैं।

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