तेलंगाना के कावल बाघ अभयारण्य में इन दिनों अलग तरह के आगंतुक नजर आ रहे हैं। ये आगंतुक कोई आम प्रकृति प्रेमी सैलानी नहीं, बल्कि विभिन्न दलों के नेता हैं। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जन्नारम जंगल के अंदर बसे आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए इन दिनों यहां नेताओं का जमघट लग रहा है।
बेहद कम चर्चित प्रेम जनता दल पार्टी से चुनाव लड़ रहे थोडसम नागोराव ने कहा, जंगल में चुनाव प्रचार करना आसान नहीं है। जंगल में उनकी सफारी कार फंस गई और इस कारण उन्हें उतरना पड़ा तथा पैदल चलकर जन्नारम मंडल में डोंगापल्ली गांव जाना पड़ा। उन्होंने बताया कि खानापुर में लंबाडा आदिवासियों तक पहुंचना अपेक्षाकृत आसान है क्योंकि वे जंगल के क्षेत्र से बाहर निकलकर अन्य कार्य करते हैं। लेकिन गोंडूज आदिवासी अब भी जंगल में काफी अंदर एकांत इलाके में रहते हैं।
सीमा निर्धारण के बाद जन्नारम अब खानापुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। जैसे-जैसे चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है, टीआरएस, भाजपा और कांग्रेस समेत विभिन्न दलों से उम्मीदवार लगातार इन इलाकों का दौरा कर रहे हैं और सत्ता में आने पर बेहतर काम का वादा कर रहे हैं। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि डोंगापल्ली और अन्य गांवों में रह रहे आदिवासियों का इन वादों से मोहभंग हो गया है। कुछ लोग मौजूदा सरकार द्वारा किए गए वादों को झूठे वादे बता रहे हैं।
आदिवासी महिला रेखा नायक ने कहा, हमें राइथू बंधु योजना के तहत तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार से प्रति एकड़ 4,000 रुपये का लाभ नहीं मिला क्योंकि हमारे पास जंगल की जमीन का मालिकाना हक नहीं है। मलयाला ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच माणिक राव ने कहा, हमारा जमीन संबंधी मुद्दा अब तक नहीं सुलझा है। लेकिन टीआरएस ने कुछ अच्छे काम किए हैं और इससे हम इनकार नहीं कर सकते।
ऐसा है कावल बाघ अभ्यारण्य
हैदराबाद से 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भारत का 42वां बाघ अभयारण्य क्षेत्र खानापुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। क्षेत्र में 1.83 लाख मतदाता हैं और यह सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित है। 893 किलोमीटर क्षेत्र में फैला अभयारण्य राज्य में सागवान के समृद्ध वनों में से एक है। यह वन क्षेत्र बाघ, चीतल, सांबर, नीलगाय, हिरण, चौसिंगा और भालुओं के साथ पक्षियों एवं सरीसृपों की विभिन्न प्रजातियों का निवास स्थान है।