पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे जो भी रहें भाजपा की लोकसभा चुनावों की तैयारियों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। पार्टी दिसंबर से ही सभी राज्यों में अपनी गतिविधियां बढ़ा देगी। संसद सत्र के दौरान भी अवकाश के दिनों में मंत्री विभिन्न राज्यों का दौरा करेंगे। भाजपा की तैयारी लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले बड़े राज्यों (बीस या ज्यादा लोकसभा सीटें) में हर माह कम से कम दस रैलियां व बड़े सम्मेलन करने की है।
भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि विधानसभा चुनावों के नतीजे अच्छे रहेंगे, लेकिन यदि उनमें कोई कमी रह भी जाती है तो पार्टी उससे विचलित नहीं होगी। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि हमारे पास अब न तो जश्न मनाने का समय है और न ही गम मनाने का। अगले साल फरवरी के आखिर या मार्च के पहले सप्ताह में आम चुनावों की घोषणा हो जाएगी। ऐसे में अधिकतम तीन माह का ही समय है जिसमें पूरे देश के अधिकांश लोकसभा क्षेत्रों में जाकर केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने रखने के साथ विपक्ष की असलियत उजागर की जाएगी। भाजपा का पूरा अभियान आक्रामक रहेगा और विपक्ष को उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा।
नीचे तक नहीं पहुंच सकी हैं उपलब्धियां
विधानसभा चुनावों के प्रचार अभियान के दौरान यह बात सामने आई है कि केंद्र सरकार की उपलब्धियां अभी तक पूरी तरह से निचले स्तर कर नहीं पहुंच पाई है। कई जगह जहां विपक्ष की सरकारें हैं वहां पर कई मामलों में केंद्र की योजनाओं को राज्य सरकार की योजनाएं बता दिया गया है। सूत्रों के अनुसार पार्टी जल्द ही दिसंबर से लेकर फरवरी तक के कार्यक्रमों को अंतिम रूप भी देगी। कई कार्यक्रम सरकार के स्तर पर भी होंगे, लेकिन दोनों में समन्वय रखा जाएगा।
बड़े राज्यों में आधे में हैं विपक्ष की सरकारें
देश में 12 ऐसे राज्य हैं जिनमें लोकसभा की 20 से अधिक सीटें हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, ओडिशा व केरल शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार इन राज्यों में अलग-अलग क्षेत्रों में केंद्रीय मंत्री व पार्टी पदाधिकारी मिलकर केंद्र की योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न रैलियों व सम्मेलनों को आयोजित करेंगे। चूंकि इनमें से आधे ऐसे राज्य हैं जिनमें भाजपा के विरोधी दलों की सरकारें हैं। वहां पर भाजपा को ज्यादा सफलता मिलने की उम्मीद है।