जानें इसका महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त

हिन्दू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। हर साल 24 एकादशियां आती है। लेकिन मलमास या अधिकमास को मिलाकर इनकी संख्या 26 भी हो जाती है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। इस साल वर्ष 2021 में उत्पन्ना एकादशी व्रत 3 दिसंबर को है।

हर महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष को मिलाकर दो एकादशियां आती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। लेकिन इस बात को बहुत कम ही लोग जानते हैं कि एकादशी एक देवी थी जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था। एकादशी मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी को प्रकट हुई थी जिसके कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा। इसी दिन से एकादशी व्रत शुरु हुआ था।

जानें इस दिन का महत्व

इस व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत से मिलने वाले फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थ स्नान व दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होते है। उपवास से मन निर्मल और शरीर स्वस्थ होता है।

उत्पन्ना एकादशी तिथि व मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ 2 दिसंबर 2021-  दोपहर 2 बजे से

एकादशी तिथि समाप्त 3 दिसंबर 2021- 12:59 बजे

पारण का समय 4 दिसंबर 2021 को – सुबह 07.02 से 09.06 बजे तक

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि

एकादशी के व्रत की तैयारी दशमी तिथि और उपवास दशमी की रात्रि से ही आरंभ हो जाता है। इसमें दशमी तिथि को सायंकाल भोजन करने के बाद अच्छे से साफ-सफाई कर लें। रात को बिल्कुल भी भोजन न करें।

एकादशी के दिन प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। नित्य क्रियाओं से निपटने के बाद भगवान की पूजा करें और कथा सुनें। इस दौरान पूरे दिन व्रती को बुरे कर्म करने वाले, पापी, दुष्ट व्यक्तियों की संगत से बचना चाहिए।

रात में भजन-कीर्तन करें और जाने-अंजाने हुई गलतियों के लिए भगवान विष्णु से क्षमा मांगे। द्वादशी के दिन प्रात:काल ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन करवाकर उचित दान दक्षिणा देकर फिर अपने व्रत का पारण करना चाहिए।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll Up