स्टार- 2.5
काला बरसों से खलनायकों का पसंदीदा रंग रहा है। अंधेरों का नुमाइंदा। और लाल… इसके ठीक उलट, सुर्ख उम्मीदों, भावनाओं, प्यार का रंग। शायद तभी, हीरोइनें इस रंग के कपड़ों में खूब नजर आती रही हैं। पर इन रंगों की कहानी बस इतनी सी ही नहीं है। शायद तभी, अब रंगों की यह बाजी कई फिल्मों में उलटती नजर आ रही है। बॉलीवुड फिल्म ‘काला’ में हमने हीरो को काले और विलेन को सफेद कपड़ों में देखा था। और अब हमारे सामने हाजिर है हॉलीवुड फिल्म ‘दि गर्ल इन दि स्पाइडर्स वेब’, जिसकी हीरोइन हमेशा काले कपड़ों में, नजर आती है और विलेन लाल कपड़ों में। इन रंगों के खास मायने हैं, जो इन किरदारों के अतीत और वर्तमान के बारे में बहुत कुछ बताते हैं। यह फिल्म इसी नाम के एक उपन्यास पर आधारित है, जो डेविड लैंगरक्रैंट्ज ने लिखा था।
फिल्म शुरू होती है एक खौफनाक अतीत से। शतरंज खेलती दो बच्चियों लिजबेथ सैलेंडर (क्लेयर फॉय) और कैमिला सैलेंडर (सिल्विया हॉएक्स) को उनके पिता अलेग्जेंडर जैलेकेन्को (माइकल पर्सब्रैंड) अपने कमरे में बुलाते हैं। अलेग्जेंडर एक मानसिक रूप से बीमार इनसान हैं जो अपनी ही बेटियों का शोषण करते हैं। लिजबेथ इस शोषण से तंग आकर खिड़की से कूदकर भागने का फैसला कर लेती है। वह अपनी बहन कैमिला को भी बुलाती है, पर वह ऐसा करने से हिचकिचाती है। नतीजतन, लिजबेथ अकेले ही भाग जाती है। बड़ी होने पर वह एक काबिल हैकर बनती है। लिजबेथ के मन में बचपन के जख्म अब भी हरे हैं। वह हिंसा, शोषण झेल रही महिलाओं की मदद करती है। उसे पता लगता है कि उसके पिता की मौत के बाद उसकी बहन कैमिला ने आत्महत्या कर ली।
फ्रैन्स बाल्डर (स्टीफेन मर्चेंट) जो कि नेशनल सेक्योरिटी एजेंसी में काम करता था और अब निकाला जा चुका है, लिजबेथ से एक खास मिशन के लिए संपर्क करता है। दरअसल उसने फायरवॉल नामक एक सॉफ्टवेयर बनाया था, जिसकी मदद से दुनिया भर के न्यूक्लियर कोड्स को हासिल किया जा सकता है। वह चाहता है कि लिजबेथ उस सॉफ्टवेयर को हासिल कर नष्ट कर दे क्योंकि उसके गलत हाथों में पड़ने का नतीजा बेहद बुरा हो सकता है। लिजबेथ इस काम में लग जाती है और कोड हासिल भी कर लेती है। पर कुछ लोग उसके ठिकाने पर हमला करके उसका लैपटॉप चुरा लेते हैं और बम धमाके से उसे भी मारने की कोशिश करते हैं पर वह बच जाती है। वह अपने पूर्व प्रेमी माइकल ब्लॉक्विस्ट (स्वेरिर गुडनासन) से मदद मांगती है। माइकल को पता लगता है कि यह काम ‘स्पाइडर्स’ नामक एक समूह का है।
2013 की ‘ईविल डेड’ और 2016 की ‘डोंट ब्रीद’ जैसी जबर्दस्त फिल्में बना चुके निर्देशक फेड एल्वारेज की इस ताजातरीन फिल्म में जबर्दस्त एक्शन है। हालांकि फिल्म का भाव पक्ष कुछ कमजोर है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और लाइटिंग इसकी जान है। इसी कहानी पर साल 2011 में ‘दि गर्ल विद दि ड्रैगन टैटू’ नामक फिल्म आई थी, जिसे काफी पसंद किया गया था। पर इस बार मामला उतना नहीं जमा।
एक्टिंग के मामले में सभी कलाकारों ने ठीकठाक काम ही किया है। पर कोई किरदार बहुत उभर कर सामने नहीं आ पाता। लिजबेथ के किरदार में क्लेयर फॉय ने अच्छी कोशिश की है। भावप्रधान दृश्यों से ज्यादा सहज वह एक्शनप्रधान दृश्यों में नजर आती हैं। विक्की क्रीप्स ने पिछले साल की ऑस्कर विजेता फिल्म ‘फैंटम थ्रेड्स’ में जबर्दस्त काम किया था। पर ‘दि गर्ल इन दि स्पाइडर्स वेब’ में उनके करने के लिए कुछ खास था ही नहीं।