नरीमन हाऊस से अब तक नहीं मिटाए गए गोलियों के निशान

नरीमन हाऊस से अब तक नहीं मिटाए गए गोलियों के निशान

मुंबई में 26/11 के दौरान दो साल के बच्चे मोशे होल्त्सबर्ग की जान बचाने वाली धाय सांद्रा सैमुअल ने कहा है कि 10 साल बाद भी चबाड़ हाऊस से गोलियों के निशान नहीं मिटाए गए हैं। सैमुअल ने हैरानी जताई कि आतंकी हमले के दाग अब भी कोलाबा में पांच मंजिला यहूदी केंद्र में मौजूद हैं। इस इमारत का नाम अब नरीमन लाइट हाऊस रख दिया गया है। आतंकी हमले के दौरान दो आतंकियों ने इस इमारत में घुसकर मोशे के पिता रब्बी गैवरियल और मां रिवका सहित नौ लोगों की हत्या कर दी थी।

हालांकि मोशे को सैमुअल ने बचा लिया था। सैमुअल, मोशे, उसके दादा-दादी और इजरायली प्रधानमंत्री के साथ साल जनवरी में मुंबई आई थी। लेकिन सैमुअल ने मई में फिर से शहर में लौटने पर पाया कि इमारत के अंदर चीजें भयावह हैं।  उन्होंने फोन पर बताया, चौथी और पांचवीं मंजिल को पूर्ववत रखा है। तीसरी मंजिल पर हर चीज को तोड़कर उसे खुले स्थान में तब्दील कर दिया है। खंभे और हर चीज पर गोलियों के निशान हैं। यह मेरे लिए बहुत भयावह है। इसने मुझे झकझोर कर रख दिया। मैं इस तर्क को समझ नहीं पा रही कि यहां लोगों के देखने के लिए गोलियों के निशान क्यों रखे गए हैं।

नरीमन हाउस में पीड़ितों की याद में पट्टिका

दक्षिण मुंबई के कोलाबा स्थित नरीमन हाउस में सोमवार को 26/11 के पीड़ितों की याद में बनाए जा रहे स्मारक के पहले चरण का उद्घाटन किया जाएगा। नरीमन हाउस यहूदी चबाड़ आंदोलन का संपर्क केंद्र था। इसके रब्बी इजराइल कोजलोव्स्की ने रविवार को कहा, स्मारक के पहले चरण में 26/11 हमले में मारे गए लोगों के नाम की पट्टिका लगी होगी। उन्होंने बताया कि अब इस इमारत को नरीमन लाइट हाउस के नाम से जाना जाएगा। यह शांति के एक नए अध्याय के तौर पर महत्वपूर्ण होगी। रब्बी ने कहा, यह एक मात्र जगह है जो 26/11 के पीड़ितों को समर्पित है। द ताज (होटल) और ओबरॉय (होटल) में पट्टिकाए हैं लेकिन यह सिर्फ उन्हीं लोगों के लिये है जिनकी मौत उन जगहों पर हुई थी।

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