भाजपा की वरिष्ठ नेता व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद पार्टी के लगभग आधा दर्जन बड़े नेता भी लोकसभा के चुनाव मैदान से हट सकते हैं। स्वास्थ्य संबंधी कारणों से कुछ प्रमुख नेता संसद में लोकसभा के बजाय राज्यसभा से आएंगे, जबकि कुछ बुजुर्ग नेता चुनावी राजनीति से ही दूरी बना सकते हैं। इनमें भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, भुवनचंद्र खंडूड़ी, शांता कुमार, करिया मुंडा जैसे प्रमुख नाम हैं।
सुषमा स्वराज ने हाल में स्वास्थ्य संबंधी कारणों से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी। हालांकि उनके अगले साल राज्यसभा में आने की संभावना है। वित्त मंत्री अरुण जेटली पहले से ही राज्यसभा में हैं और सदन के नेता भी हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं की भूमिका भी इस बार बदलेगी। भाजपा मागदर्शक मंडल के सदस्य व पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार लालकृष्ण आडवाणी व डॉ. मुरली मनोहर जोशी लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने के बजाय अन्य भूमिकाओं में आ सकते हैं।
कई राज्यों के प्रमुख चेहरे भी हो सकते हैं चुनावी राजनीति से दूर
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद शांता कुमार के भी अगला लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना कम है। उत्तराखंड के भुवनचंद्र खंडूड़ी, झारखंड के करिया मुंडा व बिहार के हुकुमदेव नारायण यादव की जगह भी भाजपा नए चेहरों को मौका दे सकती है। असम की बिजॉय चक्रवर्ती के भी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरने की संभावना कम है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि यह ऐसे नेता हैं, जो चुनाव लड़ने या न लड़ने का फैसला खुद लेंगे।
ये चेहरे चुनावी सियासत से हो सकते नदारद
लाल कृष्ण आडवाणी (उम्र 91 साल) : सात दशक का लंबा करियर। जनसंघ से भाजपा के शीर्ष तक पहुंचे। वाजपेयी सरकार में देश के उप प्रधानमंत्री रहे। मौजूदा समय में गुजरात के गांधीनगर से सांसद है।
डॉ.मुरली मनोहर जोशी (उम्र 84 साल) : 1953 में गो सुरक्षा आंदोलन के साथ सियासी सफर की शुरुआत की। इलाहाबाद, वाराणसी और अब कानपुर से सांसद। भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके।
भुवनचंद्र खंडूड़ी (उम्र 84 साल) : 36 साल सेना में सेवा देने के बाद 1990 के दशक में भाजपा में आए। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के साथ-साथ पांच बार लोकसभा का सांसद रह चुके हैं। मौजूदा समय में गढ़वाल से सांसद हैं।
करिया मुंडा (उम्र 82 साल) : झारखंड के आदिवासी नेता हैं और 1977 में पहली बार लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री बने। कुल सात बार निम्न सदन के सदस्य रहे। 15वीं लोकसभा के उपाध्यक्ष की भूमिका भी निभा चुके।
शांता कुमार (उम्र 84 साल) : 1963 में पंचायत स्तर से राजनीति शुरू की और 1972 में पहली बार हिमाचल विधानसभा के सदस्य बने। 1977 में राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाई। तीन बार लोकसभा सांसद और केंद्र में मंत्री रहे।
हुकुम देव यादव (उम्र 78 साल) : 1960 में बिहार के मधुबनी जिले में ग्राम पंचायत से राजनीति शुरू की। पांच बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। मौजूदा समय में मधुबनी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे। केंद्र में मंत्री भी रहे।
बिजॉय चक्रवर्ती (उम्र 79 साल) : जनता पार्टी से राजनीति की शुरुआत की। 13वीं लोकसभा में पहली बार भाजपा के टिकट पर गुवहाटी से जीतीं। वाजपेयी सरकार में जल संसाधन राज्य मंत्री थी। अभी गुवहाटी से सांसद हैं।
संघ ने पहले ही कर दी थी शुरुआत
– 2009 लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा में नई पीढ़ी को लोने की शुरुआत कर दी थी
– नेता प्रतिपक्ष के पद पर लाल कृष्ण आडवाणी को हटा कर सुषमा स्वराज को लाया गया था
– भाजपा कर अध्यक्ष नितिन गडकरी को और 2013 में प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को बनाया
– केंद्र में सरकार बनने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बनाया गया
– बुजुर्ग नेताओं के लिए मार्गदर्शक मंडल बनाया गया, केंद्रीय संसदीय बोर्ड में भी बदलाव किए