कुछ महीने पहले सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हॉलीवुड ने स्थानीय फिल्म इंडस्ट्री को खत्म कर दिया है। उनका कहना कुछ हद तक सही भी है क्योंकि ‘एवेंजर्स : इनफिनिटी वार’ ने देश में 312 करोड़ की कमाई की। यही नहीं टॉम क्रूज की ‘मिशन इम्पॉसिबल : फॉलआउट’ ने भी 112 करोड़ रुपये बनाए। हालांकि अगर हम करीब से नजर डालें तो पाएंगे कि आज भी बॉलीवुड का जादू ही भारतीयों के सिर चढ़कर बोलता है।
दूसरे देशों में ज्यादा कमाई…
भारत की तुलना में हॉलीवुड की फिल्में इटली, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और चीन में ज्यादा कमाई करती हैं। मसलन स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘रेडी प्लेयर वन’ ने विदेशों में कुल 3,175 करोड़ रुपये कमाए। इनमें चीन में ही फिल्म ने 1,565 करोड़ रुपये की कमाई की। मगर भारत में यह फिल्म महज 4 करोड़ रुपये ही जुटा पाई।
सुपरहीरो-जेम्स बॉन्ड के दीवाने छोटे शहर…
व्यापार विश्लेषक अतुल मोहन के मुताबिक छोटे शहरों में लोग अंग्रेजी की बजाय हिंदी फिल्मों को पसंद करते हैं। इन शहरों में तभी सिनेमाघरों में ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है जब एवेंजर्स या जेम्स बॉन्ड जैसी जाने-पहचाने किरदारों की फिल्म रिलीज होती है।
स्क्रीन की संख्या भी जरूरी…
कोई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कितनी कमाई करेगी, यह इस बात पर भी निर्भर है कि उसे रिलीज के लिए कितनी स्क्रीन मिली हैं। भारत में एनिमेशन फिल्म की कमाई का रिकॉर्ड तोड़ने वाली ‘इनक्रेडिबल-2’ को यहां 925 स्क्रीन पर रिलीज किया गया था। तभी वह 54 करोड़ रुपये कमा सकी। जबकि ‘एवेंजर्स : इनफिनिटी वार’ को 2000 स्क्रीन मिली थीं, इसलिए उसने इससे छह गुना ज्यादा कमाई की। फिल्म वितरक संजय घई का कहना है कि बड़ी फिल्मों को इतनी ज्यादा स्क्रीन मिल जाती हैं, लेकिन छोटी फिल्मों को 200-300 से ज्यादा स्क्रीन नहीं मिल पाती।
भारतीय सितारों की मौजूदगी भी काम की नहीं…
हॉलीवुड की फिल्मों में भारतीय कलाकारों की मौजूदगी भी कोई खास फर्क पैदा नहीं कर पाती। अभिनेता अली फजल ने ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’ में प्रमुख भूमिका निभाई और यह फिल्म ऑस्कर के लिए नामित भी हुई। मगर भारत में इस फिल्म ने महज 1.65 करोड़ रुपये ही कमाए। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल भारत में बस छह दिन ही चल पाई। मुझे पता था कि ऐसा ही होना है, लेकिन फिर भी मुझे बुरा लग रहा है क्योंकि भारत मेरा घर है।’