जबरन हलाला करना बलात्कार के समान

जबरन हलाला करना बलात्कार के समान

बुलंदशहर में अपनी पत्नियों को तलाक देने के बाद जबरन उनका हलाला कराए जाने के लिए दबाव बनाने के मामले को दारुल उलूम वक्फ के उलेमा ने इस्लाम के खिलाफ बताया। उलेमा-ए-कराम ने कहा कि निकाह महिलाओं की इच्छा पर होता है और उसे किसी पर जबरन नहीं थोपा जा सकता। उलेमा ने शरीयत के हवाले से बताया कि जबरन या किसी शर्त के साथ हलाला कराना बलात्कार के समान नाजायज है।

बुलंदशहर के गांव अकबरपुर में दो बहनों के साथ दो भाइयों का निकाह हुआ था। इसके बाद बीते 20 अक्तूबर को विवाहिताओं के पतियों ने उन्हें तलाक दे दिया। इसके बाद से वह उन पर हलाला के लिए दबाव बना रहे हैं और न करने पर धमकी दे रहे हैं। दारुल उलूम वक्फ के वरिष्ठ उस्ताद मुफ्ती आरिफ कासमी ने बताया कि दबाव बनाकर हलाला कराना नाजायज है।

उन्होंने कहा कि विवाह के लिए निकाह लड़कियों की मर्जी से होता है। उसे यह अधिकार होता है कि वह हां कहें या इंकार करें। कुछ लोग गलत तरीके से हलाला शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। कासमी ने कहा कि किसी शर्त के साथ हलाला हो ही नहीं सकता। हलाला की व्याख्या करते हुए बताया इससे साफ है कि दूसरा निकाह करना है।

यदि दूसरा निकाह इस शर्त के साथ किया जाए कि दूसरे पति से तलाक लेकर पहले पति से पुन: विवाह किया जाए तो हराम है। उन्होंने कहा कि यह तो संभंव है कि दूसरे पति से मनमुटाव या उसकी मृत्यु के बाद पहले पति से निकाह कर लिया जाए, मगर तलाक की शर्त के साथ दूसरा निकाह नहीं किया जा सकता।

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