राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में सियासी सरगर्मी तेज है, नेताओं का प्रचार और जोड़ पकड़ रहा है। यहां 7 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। अमर उजाला डॉट कॉम आपको बता रहा है राज्य के जमीनी हालात और उन विषयों के बारे में जो इस बार चुनावी मुद्दे हैं। इसी के मद्देनजर अमर उजाला का चुनाव रथ पहुंचा कोटा। संवाददाता अभिलाषा ने लोगों से बात कर यहां हालात का जायजा लिया।
उन्होंने जानने की कोशिश की कि आखिर यहां की जनता क्या चाहती है? उनके चुने हुए नेता उनकी उम्मीदों पर कितने खरे उतरे हैं? साथ ही यह भी जाना कि जनता के मन में क्या है। टी वैली प्रायोजित अमर उजाला के खास लाइव कार्यक्रम सत्ता के सेमीफाइनल में जानिए कि कोटा में क्या हैं जमीनी हालात।
कोटा शिक्षा के केंद्र के तौर पर मशहूर हो गया है। यहां देश के कई राज्यों से छात्र-छात्राएं कोचिंग के लिए आते हैं।
चुनाव के मुद्दों के बारे में सवाल करने एक व्यक्ति ने कहा जिसने काम नहीं किया है उसे वोट देना ही नहीं है, जो विकास करेगा उसको वोट देना है। उन्होंने कहा साफ-सफाई का मुद्दा अहम है। नालियों की सफाई नहीं हो रही है। कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा है। शहर में लड़ाई दंगा और हत्या की घटनाएं बढ़ गई हैं। मनचलों को कानून का खौफ नहीं है। लड़कियों के साथ छेड़खानी आम बात हो गई है।
एक अन्य व्यक्ति ने कहा कोई विकास नहीं हुआ है। गलियों में साफ-सफाई बदहाल है। नेता सिर्फ वोट के समय आते हैं उसके बाद कोई नहीं आता, सिर्फ कोरे आश्वासन देते हैं।
वहीं एक दूसरे व्यक्ति ने कहा कि उनके क्षेत्र उत्तर कोटा में तो बहुत विकास हुआ है, दूसरी जगहों के बारे में उन्हें पता नहीं।
एक अन्य शख्स ने कहा कि सड़कें खस्ताहाल हैं। सड़कों में जगह-जगह गड्ढे हैं।
एक दूसरे शख्स ने बताया कि लाडपुरा के जतपुरा में एक रुपये का विकास नहीं हुआ है। नालियां, सड़कों की बुरी स्थिति है। सड़कों पर लगाई गई लाइटें भी खोल ली गई है। पीने का पानी भी गंदा आता है। बिजली भी नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का आलम यह है कि कोई बार-बार शिकायत किए जाने के बाद भी अधिकारी इन समस्याओं की ओर ध्यान नहीं देते।
एक व्यक्ति ने जनता के आक्रोश करते हुए कहा कोटा की पब्लिक का मूड बिगड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि उन्हें उनके मकानों का पट्टा अभी तक नहीं मिल पाया है। शिवपुरा, अकेलगढ़ जैसी जगहों पर लोग 20 सालों से ज्यादा से बसे हुए हैं। मकान के पट्टे किराने की दुकान पर तो मिलेंगे नहीं उसे सरकार को देना है। चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की किसी ने उनकी इस समस्या का समाधान नहीं किया है। इसी वजह से यहां से हर बार निर्दलीय विधायक जीतता है। वसुंधरा सरकार ने भी इस समस्या पर कोई सुनवाई नहीं की।
कोटा में हवाई अड्डे की मांग लंबे समय से हो रही है। कोचिंग हब होने की वजह से कोटा में करीब डेढ़ लाख बच्चे पढ़ने आते हैं। हवाई अड्डे नहीं होने से यहां ट्रांस्पोर्ट इंडस्ट्री का विकास नहीं हो पा रहा है। कारोबार प्रभावित हो रहा है। लोगों का कहना है कि वसुंधरा राजे हवाई अड्डा को कोटा की बजाए झालावाड़ में खोलना चाहती हैं। हवाई अड्डे नहीं होने से जयपुर के पर्यटक कोटा नहीं पहुंच पाते हैं क्योंकि उन्हें ट्रेन से आना पड़ता है। इससे भी व्यवसाय प्रभावित हुआ है।