देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शुमार बिहार और झारखंड में प्रति लाख आबादी पर सबसे कम कॉलेज मौजूद हैं। इसके चलते इन राज्यों के सभी कॉलेजों में छात्रों की संख्या राष्ट्रीय औसत से दो गुने से भी अधिक हो गई है और शिक्षक-छात्र अनुपात बुरी तरह बिगड़ गया है।
वहीं, देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य में कॉलेजों की संख्या और कॉलेजों में छात्रों का औसत नामांकन तो राष्ट्रीय औसत के बराबर है, लेकिन शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षक-छात्र अनुपात यहां भी राष्ट्रीय औसत के दोगुने से अधिक हो गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक, देश में प्रति लाख आबादी पर औसतन 28 कॉलेज मौजूद हैं, जिनमें औसतन 698 छात्रों का नामांकन दर्ज है। वहीं, शिक्षक-छात्र अनुपात 25 है। देश में इस मामले में सबसे खराब हालत बिहार की है, जहां प्रति लाख आबादी पर मात्र 7 कॉलेज हैं, यानी राष्ट्रीय औसत से चार गुना कम।
आबादी की तुलना में कम कॉलेज होने के चलते यहां कॉलेजों में औसतन 1686 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, जो कि राष्ट्रीय औसत से लगभग ढाई गुना है। इन सब का असर यहां शिक्षक-छात्र अनुपात पर पड़ रहा है, जो बढ़कर 61 पर पहुंच गया है। यह देश में सबसे खराब शिक्षक-छात्र अनुपात है। इसी तरह झारखंड में प्रति लाख आबादी पर बिहार से एक अधिक यानी आठ कॉलेज हैं, जहां औसतन 1786 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और शिक्षक-छात्र अनुपात 56 है।
यूपी की तस्वीर कुछ अलग
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की तस्वीर इन दोनों राज्यों से थोड़ी अलग है। यहां प्रतिलाख आबादी पर कॉलेजों की संख्या राष्ट्रीय औसत के ठीक बराबर यानी 28 है। प्रति कॉलेज नामांकन यहां 851 है, जो कि राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक नहीं है। हालांकि, इसके बावजूद यहां शिक्षक-छात्र अनुपात 58 है, जो कि बिहार के बाद सबसे खराब है। जानकारों के मुताबिक, यूपी में अधोसंरचना मौजूद है, लेकिन शिक्षकों के पद खाली पड़े होने के चलते यहां शिक्षक-छात्र अनुपात इतना बिगड़ा हुआ है।
उत्तराखंड तीनों राज्य से बेहतर
यूपी से अलग होकर बने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की स्थिति इन चार राज्यों में सबसे बेहतर है। यहां प्रति लाख आबादी पर कॉलेज 37 हैं, कॉलेजों में औसत नामांकन राष्ट्रीय औसत से कम 621 है। यहां शिक्षक-छात्र अनुपात 24 है जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है।
दक्षिण राज्यों में स्थिति सबसे बेहतर
इन आंकड़ों में दक्षिण भारतीय राज्यों की स्थिति सबसे अच्छी है, इनमें तेलंगना अन्य राज्यों को पीछे छोड़ता है। तेलंगाना में प्रतिलाख आबादी पर कॉलेजों की संख्या 51 है, जो कि राष्ट्रीय औसत का लगभग दो गुना है। कॉलेजों में औसत नामांकन 558 है और शिक्षक-छात्र अनुपात 18 है। इन मामलों में भी यह राज्य राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है।
दिल्ली का हाल सबसे अलग
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कॉलेजों की संख्या 8 है, जो कि राष्ट्रीय औसत का लगभग एक चौथाई है। यहां प्रति कॉलेज नामांकन भी राष्ट्रीय औसत का दोगुना 1531 है। हालांकि, इसके बावजूद यहां शिक्षक-छात्र अनुपात 24 है, जो कि राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। शिक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका मुख्य कारण यह है कि यहां कॉलेजों के आकार काफी बड़े हैं और दिल्ली में शिक्षकों की नियुक्ति अन्य राज्यों की तुलना में कहीं बेहतर है।