वैष्णव नगरी अयोध्या में चल रहे कार्तिक मेला का समापन पूर्णिमा स्नान से होगा। पूर्णिमा तिथि गुरुवार को अपराह्न 12.16 बजे से शुरू होकर शुक्रवार को पूर्वाह्न 11.28 बजे तक रहेगी लेकिन उदया तिथि की मान्यता के कारण मुख्य स्नान पर्व शुक्रवार को ही माना जाएगा। मेला प्रशासन ने अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था का व्यापक प्रबंध किया है। मालूम हो कि कार्तिक पूर्णिमा के पर्व पर ही देव दीपावली भी मनाई जाती है । हनुमत संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य पंडित हरफूल शास्त्री बताते हैं कि देव दीपावली मनाए जाने का मुख्य प्रायोजन यह है कि इसी तिथि पर भगवान विष्णु
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दूसरों की बातें अनसुना कर आगे बढ़ें जरूर मिलेगी सफलता
एक पेड़ के नीचे कुछ मेढ़क बैठे चर्चा कर रहे थे कि वे हमेशा तालाब या निचले इलाके में रहते हैं। उनकी अकर्मण्यता के कारण लोग उनके नाम पर मुहावरा (कुंए का मेढ़क हो गया है) भी बोलने लगे हैं। मेढ़कों में से एक सदस्य ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए तय किया कि वह इस पेड़ की चोटी पर चढ़ेगा। वह दुनिया को दिखाएगा कि मेढ़क सिर्फ कुंए के नहीं होते बल्कि वह ऊंचे से ऊंचे पेढ़ पर भी चढ़ सकते हैं। इतना कहते ही वह पेड़ की तरफ मुड़़ गया और पेड़ की ओर आगे बढ़ने लगा। तभी
मोरपंखी का सूखा हुआ पौधा देता है ये संकेत
अधिकतर लोग अपने घर में सजावटी पौधे लगाते हैं। घर में साज सज्जा का ध्यान रखना तो जरूरी है लेकिन वास्तुशास्त्र के अनुसार कुछ पौधे ऐसे होते हैं जो वास्तु के अनुसार आपको लाभ देते हैं। ऐसा ही एक पौधा है मोरपंखी का पौधा। मोरपंखी का पौधा घर में जोड़े से लगाने से घर में कई परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। दरअसल ये पौधा घर में सही स्थिति में होना चाहिए। कहा जाता है कि इससे घर में सौभाग्य में वृद्धि होती है। लेकिन अगर ये सूख जाए तो क्या करना चाहिए। आगे की स्लाइड में पढ़ें इस पौधे के
यह है सावन की शिवरात्रि का महत्व,
फाल्गुन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि के महत्व के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन सावन के महीने में आने वाली शिवरात्रि का भी विशेष महत्व है। कहते हैं कि सावन के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि के दिन शिव की अराधना से भक्तों के सभी कष्ट तो दूर होते हैं साथ ही इस शिवरात्रि के दिन पूजा और व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो लोग मासिक शिवरात्रि का व्रत रखना चाहते हैं वो इस दिन से महा शिवरात्रि व्रत आरम्भ कर साल भर इस व्रत को रख सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की
आज है सावन की शिवरात्रि, गुरुपुष्य योग का भी है संयोग,
आज है सावन की शिवरात्रि। साल में दो शिवरात्रि होती हैं पहली महाशिवरात्रि और दूसरी सावन की शिवरात्रि। कहते हैं कि भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव का महीना है सावन। सावन की शिवरात्रि के दिन कांवडिए गंगाजल लाकर भागवान शिव का अभिषेक करते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस दिन गुरुवार, त्रयोदशी और पुष्य योग लगने से गुरुपुष्य योग भी लग रहा है। इसलिए इस शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन भगवान शिव के भक्त गंगाजल, दूध, दही, घी, पंचामृत के साथ भागवान शिव का रूद्राभिषेक किया जाता है। वहीं इस दिन
इस दिन लगाएं एक वृक्ष
महादेव शिव के प्रिय माह श्रावण की कृष्ण पक्ष की अमावस्या, जो इस बार 11 अगस्त को है, को ही हरियाली अमावस्या कहते हैं। शनिवार को होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान आदि करने से पितृगण प्रसन्न और तृप्त होते हैं। इस दिन हर मनुष्य को कम से कम एक फलदार वृक्ष जरूर लगाना चाहिए। वृक्ष लगाने के लिए यह समय अनुकूल होता है। हमारे ऋषियों ने इसी को ध्यान में रखकर सावन की अमावस को प्रकृति को संपन्न करने के लिए चुना है। इस दिन सूर्य, चंद्रमा, वक्री
पापों का नाश करता है कमिका एकादशी का व्रत
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वालों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु का पूजन करने से सभी पापों का नाश होता है। ज्योतिष के अनुसार इस बार स्मार्तों के लिए कमिका एकादशी 7 अगस्त मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। वहीं वैष्णवों यानी ग्रहस्थ कमिका एकादशी 8 अगस्त को मनाएंगे। कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा है कि जो फल वाजपेय यज्ञ करने से प्राप्त होता है वही फल कामिका एकादशी
11 अगस्त को लगेगा सूर्य ग्रहण
इस साल साल का अंतिम और तीसरा सूर्य ग्रहण 11 अगस्त को होगा। इसी दिन श्नैश्चरी अमावस्या, हरियाली अमावस्या भी है। यहां पढ़ें इस सप्ताह के सभी व्रत और त्योहार: खंडग्रास सूर्यग्रहण 7 अगस्त (मंगलवार). भौम व्रत। कमिका एकादशी व्रत स्मार्तों का। गौरी दुर्गा पूजा। संकटमोचन हनुमद् दर्शन। श्री दुर्गा जी की यात्रा एवं दर्शन काशी में। अवम् (एकादशी तिथि क्षय)। 8 अगस्त (बुधवार). कमिका एकादशी व्रत वैष्णवों का।. 9 अगस्त (गुरुवार). मास शिवरात्रि व्रत। प्रदोष व्रत।. 10 अगस्त (शुक्रवार). भद्रा समाप्त प्रात: 8 बज कर 58 मिनट पर।. 11 अगस्त (शनिवार). स्नान-दान-श्राद्धादि की श्नैश्चरी अमावस्या। हरियाली अमावस्या। खंडग्रास सूर्यग्रहण
इस तारीख को है रक्षा बंधन,
सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है रक्षा बंधन का त्योहार। इस बार 26 अगस्त को रक्षा बंधन मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती हैं। इसके साथ ही उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। ज्योतिष के अनुसार इस बार रक्षा बंधन बांधन का शुभ मुहूर्त 11 घंटे 26 मिनट का है। इस रक्षा बंधन पर बहनें सुबह 5:59 मिनट से शाम 17: 12 मिनट तक राखी बांध सकती हैं। यह भी कहा जा रहा है कि रक्षा बंधन के दिन इस बार भद्रा नहीं लग रहा है। इसलिए बहने शाम 5 बजकर 12 मिनट
जुलाई महीने में पड़ रहे हैं दो ग्रहण, 13 जुलाई को है सूर्यग्रहण,
इस बार जुलाई में दो ग्रहण होने वाले हैं। 13 जुलाई को सूर्य ग्रहण और 27 जुलाई को चंद्र ग्रहण। 13 जुलाई को होने वाला सूर्य ग्रहण साल का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या को सूर्य ग्रहण है। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। वहीं 27 जुलाई को होने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा और सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा। ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहण काल समाप्त होने के बाद दान पुण्य करने का विधान है। सूर्य ग्रहण का समय 13 जुलाई 2021 भारत में सुबह 7 बजकर