आज लग रहा है इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण। हालांकि ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन कुछ ज्योतिषियों का मत है कि सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक लग जाते हैं और इस दौरान कुछ कामों को करने की मनाही होती है। आज अमावस्या सुबह 8:17 मिनट तक है। मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। वहीं कुछ ज्योतिष यह भी कह रहे हैं कि भारत में इस ग्रहण का ज्यादा प्रभाव नहीं मिलेगा, क्योंकि ग्रहण यहां नहीं पड़ रहा है। 13 जुलाई को आषाढ़ अमावस्या पर पूर्वजों की
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Surya grahan 2021: इस समय तक है अमावस्या,
13 जुलाई को लगेगा इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण। हालांकि ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन कुछ ज्योतिषियों का मत है कि सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक लग जाते हैं और इस दौरान कुछ कामों को करने की मनाही होती है। 13 जुलाई को सूर्य ग्रहण के दिन अमावस्या सुबह 8:17 मिनट तक है। मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। वहीं कुछ ज्योतिष यह भी कह रहे हैं कि भारत में इस ग्रहण का ज्यादा प्रभाव नहीं मिलेगा, क्योंकि ग्रहण यहां नहीं पड़ रहा है। 13 जुलाई को
सक्सेस मंत्र:
बहुत समय पहले की बात है। गौतम बुद्ध एक गांव में लोगों को उपदेश देने के लिए जा रहे थे। उनके साथ उनके कुछ अनुयायी भी थे। वे गांव पहुंचने वाले ही थे कि तभी उन्हें रास्ते में कई जगह गड्ढे खुदे मिले। ये देखकर गौतम बुद्ध के अनुयायी काफी आश्चर्यचकित हो गए। तभी उनके एक अनुयायी ने गौतम बुद्ध से सवाल पूछा। अनुयायी ने कहा कि इतने सारे गड्ढे क्यों खुदे हुए हैं। आखिर ऐसी किसी को क्या जरूरत पड़ गई कि कुछ ही दूरी के अंतराल में इतने सारे गड्ढे खोद डाले। यह सुनकर गौतम बुद्ध ने बड़ी धैर्यतापूर्वक
कष्टों को दूर करने के लिए गुप्त नवरात्र
गुप्त नवरात्र को दस महाविद्याओं की उपासना का पर्व कहा जाता है। इन व्रत को जितना गोपनीय विधि से किया जाए उतना ही अधिक सिद्धि की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्र में मन की इच्छा को अपने तक रखें। रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधना काल नहीं है। वर्ष में दो बार मां के नवरात्र आते हैं। इसी तरह हर साल दो बार गुप्त नवरात्र भी मनाए जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास में शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्र आते हैं। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाती है।
आषाढ अमावस्या के दिन लगेगा सूर्य ग्रहण,
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 13 जुलाई को लगेगा। इस दिन आषाढ अमावस्या होने के कारण यह दिन और भी खास है। हालांकि इस दिन पड़ने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। लेकिन आषाढ अमावस्या होने के कारण इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है। आपको बता दें कि 13 जुलाई को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण 2021 का असर दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न, स्टीवर्ट आईलैंड और होबार्ट में दिखाई देगा। यहां जानें क्यो महत्वपूर्ण है आषाढ की अमावस्या: 1. आषाढ की अमावस्या के दिन पितृदेव का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन पितृों का श्राद्ध
तीनों लोक में प्रसिद्ध है यह एकादशी
आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष एकादशी को योगिनी एकादशी के रूप में जाना जाता है। यह व्रत मुक्ति प्रदान करने वाला है। यह एकादशी तीनों लोक में प्रसिद्ध है। इस व्रत के प्रभाव से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस शुभ दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इस एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से समस्त पाप दूर हो जाते हैं। योगिनी एकादशी व्रत की कथा श्रवण का फल अट्ठासी सहस्त्र ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान माना गया है। यह व्रत
जुलाई महीने में पड़ रहे हैं दो ग्रहण,
इस बार जुलाई में दो ग्रहण होने वाले हैं। 13 जुलाई को सूर्य ग्रहण और 27 जुलाई को चंद्र ग्रहण। 13 जुलाई को होने वाला सूर्य ग्रहण साल का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या को सूर्य ग्रहण है। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। वहीं 27 जुलाई को होने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा और सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा। ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहण काल समाप्त होने के बाद दान पुण्य करने का विधान है। सूर्य ग्रहण का समय 13 जुलाई 2021 भारत में सुबह 7 बजकर
निराशा को हराकर ही मिलती है सफलता
सुबह होते ही, एक भिखारी नरेन्द्रसिंह के घर पर भिक्षा मांगने के लिए पहुंच गया। भिखारी ने दरवाजा खटखटाया, नरेन्द्रसिंह बाहर आये पर उनकी जेब में देने के लिए कुछ न निकला। वे कुछ दुखी होकर घर के अंदर गए और एक बर्तन उठाकर भिखारी को दे दिया। भिखारी के जाने के थोड़ी देर बाद ही वहां नरेन्द्रसिंह की पत्नी आई और बर्तन न पाकर चिल्लाने लगी- “अरे! क्या कर दिया आपने चांदी का बर्तन भिखारी को दे दिया। दौड़ो-दौड़ो और उसे वापिस लेकर आओ।” नरेन्द्रसिंह दौड़ते हुए गए और भिखारी को रोककर कहा- “भाई मेरी पत्नी ने मुझे जानकारी
उन्नति के रास्ते पर ले जाएंगी आपके घर की सीढ़ियां
घर की सीढ़ियां हमारी सफलता की सीढ़ियां भी बन सकती हैं। वास्तु शास्त्र में बताए गए नियमानुसार अगर इन्हें बनाया जाए तो परिवार उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है। घर में सीढ़ियों को यदि सही दिशा में न बनाया गया हो तो यह गंभीर वास्तु दोष माना जाता है। घर की सीढ़ियां परिवार में कमाने वाले की आमदनी पर प्रभाव डालती हैं। सीढ़ियों को कभी भी उत्तर दिशा में न बनाएं। सीढ़ियों के लिए उत्तर-पूर्व दिशा भी ठीक नहीं है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में सीढ़ियां बना सकते हैं। मकान में सीढ़ी दक्षिण दिशा में होना शुभ माना जाता है।
आज है गंगा दशहरा,
आज है गंगा दशहरा। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है गंगा दशहरा। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा मां का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। ऐसा भी माना जाता है कि गंगा श्री विष्णु के चरणों में रहती थीं तब भागीरथ की तपस्या से भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया था। इस दिन गंगा में स्नान और दान करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से दस तरह के पापों का नाश होता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन गंगा नदी में