गणेश उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह उत्सव पूरे 10 दिन चलेगा। इस दौरान गणेश भक्त बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं साथ ही उनकी आरती भी गाते है। यहां देखें गणेश जी की आरती जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी, माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा, लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। .. जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया, बांझन को पुत्र देत, निर्धन
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Happy Vinayaka Chaturthi 2021
Happy Vinayaka Chaturthi 2021: आज है गणेश चतुर्थी। 10 दिनों तक बप्पा का चलने वाला उत्सव। किसी भी देव की पूजा हो, घर में मंगल कार्य हों, बिना गणपति की पूजा के कोई विधान पूरा नहीं होता। 10 दिन भक्त बप्पा को घर में विराजमान करते हैं और उन्हें मोदक का भोग लगाते हैं। महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु, केरल में यह उत्सव बड़े ही जोर-शोर से मनाया जाता है। मान्यता है कि बप्पा अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए इन 10 दिनों में अपने भक्तों के पास आते हैं। इस मौके सभी एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं ।
हरतालिका तीज 2021
यह भाद्र पद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, जो गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छा वर पाने के लिए लड़कियां भी हरतालिका तीज का व्रत रखती है। हरतालिका के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। प्रत्येक पहर में भगवान शंकर का पूजन और आरती होती है। कई जगह की परंपरा की मानें तो इस दिन पंचामृत भी बनता है। जिसमें घी, दही, शक्कर, दूध, शहद का इस्तेमाल होता है। हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, काजल आदि भी दिए
भगवान विष्णु ने इस दिन लिया वराह अवतार
भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को भगवान विष्णु अपने तृतीय अवतार वराह के रूप में अवतरित हुए थे। इस दिन को वराह जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने हरिण्याक्ष का वध करने के उद्देश्य से वराह अवतार लिया। वराह अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से तृतीय अवतार हैं। वराह भगवान का व्रत कल्याणकारी है। जो श्रद्धालु वराह भगवान के नाम से व्रत रखते हैं उनका सोया हुआ भाग्य जागृत हो जाता है। जो भक्त इस व्रत को रखते हैं उन्हें व्रत तिथि को संकल्प कर एक कलश में भगवान वराह की सोने की
इस दिन भगवान शिव ने किया काशी का सृजन
भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन अघोर चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे डगयाली भी कहा जाता है। इसके अगले दिन अमावस्या को बड़ी डगयाली या कुशाग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। अघोर चतुर्दशी भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अघोर चतुर्दशी के दिन तर्पण, दान-पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि काशी का सृजन भगवान शिव ने अघोर चतुर्दशी के दिन ही किया था। कहा जाता है कि काशी नगरी धरती पर नहीं, भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी है। यह भी मान्यता है कि 14 सौ करोड़ वर्ष पूर्व काशी अस्तित्व में आई थी।
गणेश चतुर्थी 2021:
इस साल गणेश चतुर्थी की शुरुआत 13 सितंबर से हो रही है जोकि 23 सितंबर तक चलेगी। गणेश चतुर्थी में गणेश जी की पूजा होती है। गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतर्दर्शी तक यानी दस दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणपति बप्पा की घर में स्थापना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो इन 10 दिनों बप्पा धरती पर निवास करते हैं। कुछ लोग गणपति 1 दिन रखते है कोई तीन, पांच और सात, तो कोई पूरे 10 दिन के बप्पा को घर में स्थापित करते हैं। गणपति की कृपा साल भर पाने के लिए
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पूरी दुनिया को शिक्षकों का सम्मान करना सिखाया। देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस उनकी महानताओं के कारण हर साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देश में श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 1931 में ब्रिटिश साम्राज्य ने ‘सर’ की उपाधि प्रदान की। वह उस समय 43 साल के थे। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस उपाधि का औचित्य डॉ़ राधाकृष्णन के लिए समाप्त हो गया। जब वह उपराष्ट्रपति बने
9 सितंबर कुशग्रहणी अमावस्या:
भाद्रपद कृष्ण अमावस्या 9 सितंबर को है। इसी अमावस्या को ही कुशग्रहणी या कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा जाता है। सनातन धर्म के अनुयायी यह अच्छी तरह से जानते हैं कि बिना कुशा के की गई हर पूजा निष्फल मानी जाती है- पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:। कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया॥ पूजा के अवसर पर इसीलिए विद्वान पंडित हमें अनामिका उंगली में कुश की बनी पैंती पहनाते हैं। बायें हाथ में तीन कुश और दायें हाथ में दो कुशों की बनी हुई पवित्री- पैंती इस मंत्र के साथ पहननी चाहिए- ओम पवित्रे स्थो वैष्णव्यौ सवितुर्व: प्रसव उत्पुनाम्यच्छिद्रेण पवित्रेण सूर्यस्य रश्मिभि:।
कृष्ण जन्माष्टमी 2021:
भगवान कृष्ण के जन्म दिवस जन्माष्टमी के पर्व के तौर पर मनाया जाता है। शास्त्रों की मानें तो भगवान कृष्ण का जन्म आज से करीब सवा पांच हजार साल पहले भाद्रपद माह में कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। मथुरा के मंदिरों में जन्माष्टमी 3 सितंबर को मनाई जाएगी। श्री कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा के गोपेश्वर चतुर्वेदी और विजय बहादुर ने बताया कि जन्मभूमि पर रात्रि 11.00 बजे से नवग्रह पूजन होगा। 11.35 बजे तक सहस्त्रर्चन (कमल पुष्प एवं तुलसी दल से) होगा। 11.59 बजे प्राकट्य दर्शन हेतु पट बंद होंगे। रात्रि 12.00 बजे प्राकट्य दर्शन होंगे। 12.10 बजे प्राकट्य आरती होगी। 12.15
संघर्ष का समय ही अपनी जड़ें मजबूत करने का समय है
एक बार एक युवक को संघर्ष करते-करते कई वर्ष हो गए लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। वह काफी निराश हो गया, और नकारात्मक विचारो ने उसे घेर लिया। उसने इस कदर उम्मीद खो दी कि उसने आत्महत्या करने का मन बना लिया। वह जंगल में गया और वह आत्महत्या करने ही जा रहा था कि अचानक एक संत ने उसे देख लिया। संत ने उससे कहा बच्चे क्या बात ह , तुम इस घनघोर जंगल में क्या कर रहे हो? उस युवक ने जवाब दिया मैं जीवन में संघर्ष करते-करते थक गया हूं और मैं आत्महत्या करके अपने बेकार जीवन