गर्भवती महिलाओं के लिए अशुभ होता है ग्रहण

सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण और साल का दूसरा चंद्रग्रहण 27 जुलाई को पड़ने जा रहा है। यह ग्रहण 27 जुलाई की रात 22:54 बजे शुरू होगा और 28 जुलाई को 03:49 बजे समाप्त होगा। लेकिन चंद्रग्रहण का सूतक ग्रहण काल से कई घंटे पहले शुरू होगा और ग्रहण के बाद तक रहेगा। चंद्रग्रहण को कोई भी अपनी नंगी आंख से देख कसता है क्योंकि इस दौरान किसी भी प्रकार की हानिकारक किरणें नहीं निकलेंगी। लोक मान्यता है कि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा संचार होता है ऐसे में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की सलाह

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19 साल बाद सावन में अद्भुत संयोग,

इस साल श्रावण मास शनिवार को श्रवण नक्षत्र (चंद्र नक्षत्र) में आरंभ हो रहा है। शनि इस संवत्सर का मंत्री और भगवान शंकर के गण भी हैं। चंद्रमा भगवान शंकर को अति प्रिय है और मानसिक शांति देने वाला है। इसलिए श्रावण मास शुभ रहेगा। श्रावण पूरे तीस दिन का है और पूर्णिमा की गणना के अनुसार चार सोमवार रहेंगे। हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि संक्रांति की गणना के अनुसार श्रावण माह सोलह जुलाई से आरंभ हो चुका है। यानि पहला सोमवार बीत चुका है। उत्तराखंड, नेपाल और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में लोग संक्रांति

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घर में लगाएंगे ऐसी तस्वीर तो नहीं होगी पैसों की कमी

घर में सजाने के लिए हम कई तरह की तस्वीरें लगाते हैं जो कई बार हमारे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। वहीं अगर आप वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में तस्वीर लगाएंगे तो इससे घर में सकारात्मक उर्जा का संचार बढ़ेगा और घर में खुशहाली आएगी। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में हंस की तस्वीर लगाने से पैसों की कमी नहीं होती। ऐसी ही कई बातें वास्तुशास्त्र में बताई गई है जिसको मानने से आपको फायदा ही फायदा होगा: वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में देवी-देवताओं के चित्रों को लगाने से सभी परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती

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Devshayani ekadashi 2021:

आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को देवशयनी एकादशी या आषाढ़ी एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है।  इस बार यह 23 जुलाई, सोमवार को पड़ रही है। कहते हैं भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और चार माह बाद उन्हें उठाया जाता है। चार महीने बाद देवउठान एकादशी के दिन गवान श्री हरि विष्णु उठेंगे। इस चार महीने के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। चार महीने बाद देवउठान एकादशी से सभी मंगल कार्य शुरू होंगे। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। ये है एकादशी का

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अपने गुणों पर इतना न इतराएं कि दूसरे आहत हो जाएं

नीम में हजार गुण हों, मगर उसे उसकी कड़वाहट के लिए जाना जाता है। वैसे नीम हमेशा से कड़वा नहीं था, वह एक श्राप के कारण ऐसा हो गया। इसकी कहानी बहुत पुरानी है। तब नीम बहुत मीठा हुआ करता था, और उसके ऊपर चिडि़या, परिंदों का बसेरा था और उसकी छांव में बच्चे खेलते थे व पथिक सुस्ता भी लिया करते थे। उन दिनों नीम की मिठास आम की तरह हुआ करती थी। दोनों पेड़ों के गुणों में न के बराबर फर्क था। मगर नीम इस बात से खुश नहीं था। उसके पास जब बच्चे खेलने के लिए आते,

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18 वर्ष पूर्व तक कभी 29 तो कभी 28 दिन का होता रहा है

भगवान शिव की आराधना का पावन महीना सावन का शुभारम्भ 28 जुलाई से हो रहा है। इस बार सावन पूरे 30 दिन का होगा। यह संयोग 19 वर्षों बाद बना है।  सावन की शुरुआत वैसे तो 27 जुलाई से हो रही है लेकिन उदयातिथि 28 जुलाई शनिवार से इसे आरंभ माना जाएगा। 30 दिन का सावन होने के बावजूद चार सोमवार ही पड़ेंगे। 26 अगस्त को श्रावण मास का आखिरी दिन होगा। आचार्य अविनाश राय ने बताया कि इस वर्ष पुरुषोत्तम मास होने के कारण सावन 28 या 29 दिनों का नहीं रहेगा बल्कि पूरे 30 दिनों तक चलेगा। बताया

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गुरु पूर्णिमा 2021: 27 जुलाई को है गुरु पूर्णिमा,

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘गुरुपूर्णिमा’ मनाई जाती हैं। इस बार ये 27 जुलाई को मनाई जा रही है। इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। इस दिन चारों वेदों के व महाभारत के रचियता, संस्कृत के परम विद्वान कृष्ण द्वैपायन व्यास जी का जन्मदिन भी मनाया जाता है। यही वजह है कि इस दिन गुरू की पूजा करने का विधान है। शास्त्रों में गुरू को विशेष दर्जा दिया गया है।  ज्योतिष के अनुसार इस दिन खीर का प्रसाद बनाकर सभी में वितरित करना भी बहुत शुभ होता है। खास तौर पर जिन

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गुप्त नवरात्रि की छठी देवी हैं त्रिपुर भैरवी हैं दृढ़ निश्चय की प्रतीक

गुप्त नवरात्रि की छठी महाविद्या त्रिपुर भैरवी हैं। इनका संबंध काल भैरव से है। यह काल भैरव की शक्ति हैं। इनके ही आदेश से काल भैरव कार्य करते हैं। देवी भगवती का यह स्वरूप विनाशकारी और विध्वंसकारी है। हमेशा विनाश और विध्वंस अशुभ नहीं होता। निर्माण से पहले विध्वसं ही होता है। जिस प्रकार से जीवन से पहले मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के बाद जीवन निश्चित है, उसी प्रकार निर्माण के बाद विध्वंसऔर विध्वंस के बाद निर्माण निश्चित है। पुराने मकान को तोड़कर नया मकान बनता है, ठीक उसी प्रकार देवी भगवती अपने इस स्वरूप के माध्यम से विनाश

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23 जुलाई को है देवशयनी एकादशी व्रत, ये होते हैं नियम

इस वर्ष देवशयनी एकादशी व्रत 23 जुलाई को है। इसे पद्मा एकादशी, पद्मनाभा एकादशी भी कहा जाता है। गृहस्थ आश्रम में रहने वालों के लिए चातुर्मास्य नियम इसी दिन से प्रारंभ हो जाते हैं। संन्यासियों का चातुर्मास्य 27 जुलाई को यानी गुरु पूर्णिमा के दिन से शुरू होगा। देवशयनी एकादशी नाम से पता चलता है कि इस दिन से श्री हरि शयन करने चले जाते हैं। इस अवधि में श्री हरि पाताल के राजा बलि के यहां चार मास निवास करते हैं। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी, जिसे देवप्रबोधिनी एकादशी (इस बार 19 नवंबर को) भी कहा जाता है, के

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Jagannath Rath yatra 2021:

ओडिशा के पुरी से 141 रथ यात्रा आज से शुरू हो रही है। आषाढ मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यह यात्रा निकलती है। ओडिशा के पुरी और गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा की भव्य रथयात्रा निकलती है। संस्कृत में जगन्नाथ का अर्थ है जग यानी दुनिया और नाथ का अर्थ है भगवान। भगवान जगन्नाथ यानी कृष्ण भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं, जो 16 कलाओं से परिपूर्ण हैं। रथ यात्रा कई पारंपरिक वाद्ययंत्रों की आवाज के बीच बड़े-बड़े रथों को सैकड़ों लोग मोटे-मोटे रस्सों की मदद से खींचते हैं। सबसे पहले बलभद्र जी का रथ प्रस्थान

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